भीख मांगने की जगह दिखाई शिक्षा की नई राह, स्कूल से जुड़ा नाता
चतरा: चतरा जिला का कन्हाचट्टी प्रखंड प्रशासन विलुप्त प्राय आदिम जनजाति बिरहोरों के लिए मसीहा बनकर आया है. दरअसल कान्हाचट्टी के प्रखंड विकास पदाधिकारी पप्पू रजक ने समाज के इस सबसे अंतिम पायदान पर अपना गुजर-बसर करने वाले लोगों में सामाजिक परिवर्तन करने की बात ठानी है, वहीं दूसरी ओर विलुप्त हो रहे बिरहोर जाति के लोग इन्हें एक फरिश्ते से कम नहीं मान रहे.
बताते हैं कि प्रखंड प्रशासन के प्रयास से दिवाली के मौके पर बिरहोर कालोनी को न सिर्फ रंग रोगन कर इनके आवासों की सूरत बदल दी बल्कि बच्चों को भीख मांगने, टेना-गैठी चुनने से लेकर दातुन- पत्तल बेंचकर दो पैसा कमाने की लत भी छुड़वाकर उन्हें पढ़ लिखकर बेहतर नागरिक बनने व कुछ कर गुजरने का सपना दिखाया है.
यही कारण है कि आज कान्हाचट्टी के बिरहोर बच्चे फालतू के कामों से तौबा कर अपना कदम स्कूल की ओर बढ़ा रहे हैं. इन बच्चों को पढ़ाने के लिए बीडीओ साहब ने किताब कॉपी तो दिए ही बल्कि सुबह शाम एक एक घण्टे या तो इन्हें पढ़ाते हैं या फिर अपने ब्लॉक के स्टॉफ को भेजकर इन्हें शिक्षित करने का कार्य करते हैं.
इनकी एक सबसे अनोखी पहल यह भी है कि कॉलोनी के दीवारों पर1234 गिनतियों से लेकर अन्य कई बेसिक जानकारियां उनके घरों की दीवारों पर उकेरकर इन्होंने बच्चों को शिक्षा के प्रति लुभाने का काम किया है. सबसे मजे की बात तो यह है कि बीडीओ साहब के द्वारा ही इन्ही कॉलोनी की दो छात्राओं खुशबू व रेखा का नामांकन कस्तूरबा विद्यालय में करवाया था. जो लॉक डाउन में घर पर ही हैं और वो अन्य बच्चों को भी कुछ न कुछ पढ़ाने की कोशिश कर रही हैं.
बिरहोर टोला की एक महिला मुनियां बिरहोरीन कहती है कि हम लोग बच्चों को पढ़ाएंगे लिखाएँगे, ताकि हमारे बच्चे नौकरी कर सके. इसके अलावे वह शराब के नशे से अब तौबा करने की भी बात कहती है. उसने बताया कि बीडीओ साहब शराब पीने से मना करते हैं. क्योंकि शराब कोई अच्छी चीज नहीं बल्कि बर्बादी की सबसे बड़ी जड़ है. इसके साथ ही प्रशासन की पहल पर अब ये खेती बाड़ी की ओर भी अग्रसर हो रही है.
बिरहोर बच्ची खुशबू कहती है कि पहले हम सब स्कूल नहीं जाते थे. परन्तु बीडीओ साहब के पहल से हम लोग स्कूल जाने लगे हैं. हम लोग को अब पढ़ना-लिखना है और कुछ करना है. पढ़ाई के लिए बीडीओ साहब के द्वारा ही किताब कॉपी आदि उपलब्ध कराए गए हैं.
इधर बीडीओ पप्पू रजक कहते हैं कि बिरहोर परिवार को शिक्षा के साथ साथ रोजगार भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि मनरेगा द्वारा संचालित दीदी बाड़ी योजना से जोडकर इन्हें लाभ दिया जा रहा है ताकि बिरहोरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाया जा सके.
अधिकारी बताते हैं कि खासकर उनकी वर्षो पुरानी चली आ रही शराब संस्कृति की परंपरा से भी इन्हें दूर करने का प्रयास किया जा रहा है और इस दिशा में भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि खासकर सभी सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में भी इनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है. कहा कि इनके सामाजिक परिस्थितियों तथा व्यवहार में बदलाव लाना जिला प्रशासन का मुख्य उद्देश्य है.