रांची:- अलग झारखंड राज्य स्थापना दिवस 15 नवंबर पर इस वर्ष कोई राजकीय कार्यक्रम नहीं होगा. वैश्विक महामारी कोरोना संक्रमणकाल में भीड़ एकत्रित करने की मनाही और सोशल डिस्टेसिंग को लेकर जारी आवश्यक गाइडलाइन को लेकर राज्य गठन के बाद ऐसा पहली बार हो रहा है कि झारखंड स्थापना दिवस पर किसी भव्य राजकीय कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया जा रहा है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार कोरोना संक्रमणकाल में राजस्व संग्रहण में भी कमी आयी है, जिसके कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खर्च में कटौती का निर्देश दिया गया है। स्थापना दिवस को लेकर इस बार स्वीकृत राशि भी सीमित रखी गयी है, इसके तहत केवल सरकारी भवनों में थोड़ी बहुत लाईटों से सजाने की अनुमति दी गयी है.
इससे पहले के वर्षां में झारखंड स्थापना दिवस में राज्य स्तर पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन करने की प्रथा रही है। इस दिन कई योजनाओं का शिलान्यास, नियुक्ति पत्र और परिसंपत्ति वितरण और सांस्कृतिक कार्यक्रम समेत कई तरह के आयोजन किए जाते थे. वहीं राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष में स्थापना दिवस आयोजन के मद में एक करोड़ रुपये रखा था, इस बार कोई कार्यक्रम नहीं हो रहा , केवल सरकारी भवनों की लाइटों से सजावट की गयी है। इसलिए बजट की राशि से बहुत ही कम निकासी की आवश्यकता हुई.
झारखंड अलग राज्य की स्थापना अमर शहीद भागवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को हुई है.झारखंड राज्य स्थापना दिवस के साथ-साथ भगवान बिरसा मुंडा को भी याद किया जाता है.राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रविवार को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के मौके पर रांची के कोकर स्थित उनके समाधि स्थल और बिरसा चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण करेंगे. इसे लेकर भगवान बिरसा मुंडा के समाधि स्थल और प्रतिमा स्थल को संजाया-संवारा गया है. राज्य में जहां-जहां भगवान बिरसा मुंडा से जुड़ी जगह या प्रतिमा हैं वहां पर श्रद्धांजलि दी जाएगी. जबकि खूंटी जिले के उलिहातु स्थित भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली पर भी सार्वजनिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.