आख़िरकार बीजेपी से एक युग का अंत हुआ, 24 अगस्त 2019 की सुबह पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली जी ने अंतिम साँस ली। 28 दिसंबर 1952 को उनका जन्म महाराज किशन जेटली जी के घर मे हुआ।पिता पेशे से वकील थे। पेशे से वकील जेटली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उनकी कैबिनेट का महत्वपूर्ण हिस्सा थे। उनके पास वित्त और रक्षा मंत्रालय का प्रभार था और सरकार के लिए वह संकटमोचक की भूमिका में रहे।
अरुण जेटली को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिसके बाद उनको एम्स लाया गया था। यहां चिकित्सकों ने जांच की तो पता लगा कि उनके फेफड़े में पानी भर गया है जिस वजह से वो सांस नहीं ले पा रहे थे और उनके दिल पर बहुत ज्यादा जोर पड़ रहा था। हालांकि शनिवार को उनकी हालत और ज्यादा बिगड़ गई है। उनको वेंटिलेटर पर रखा गया था लेकिन अब उनकी सेहत वहां भी नहीं संभल रही है। इसके बाद उनको वेंटिलेटर से हटाकर ईसीएमओ यानी एक्सट्रा कॉर्पोरियल मेंब्रेन ऑक्सीजिनेशन पर रख दिया गया है। ईसीएमओ पर रखने का मतलब होता है कि जब फेफड़े और दिल दोनों ही ठीक से काम नहीं कर रहे होते हैं, तब ईसीएमओ पर रखा जाता है।
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में 66 वर्षीय जेटली को जीवन रक्षक प्रणाली पर रखा गया। सांस लेने में परेशानी होने और बेचैनी महसूस होने के बाद उन्हें नौ अगस्त को अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालांकि, एम्स ने उनके स्वास्थ्य के बारे में 10 अगस्त से कोई मेडिकल बुलेटिन जारी नहीं किया था। उनके स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए हाल के दिनों में कई बड़े नेताओं ने अस्पताल का दौरा किया।
खराब स्वास्थ्य के कारण जेटली ने 2019 का लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। पिछले साल 14 मई को एम्स में उनके गुर्दे का प्रतिरोपण हुआ था। उस समय रेल मंत्री पीयूष गोयल को उनके वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गयी थी। पिछले साल अप्रैल की शुरुआत से ही वह कार्यालय नहीं आ रहे थे और वापस 23 अगस्त 2018 को वित्त मंत्रालय आए। लंबे समय तक मधुमेह रहने से वजन बढ़ने के कारण सितंबर 2014 में उन्होंने बैरिएट्रिक सर्जरी करायी थी।