नई दिल्ली: अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना का बुधवार को निधन हो गया. दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में गिने जाने वाले माराडोना ने 60 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया. पिछले लंबे समय से वह कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे. मैदान पर अपने इशारे पर फुटबॉल को घुमाने वाले माराडोना मैदान के बाहर ड्रग्स के जाल में बुरी तरह फंस गए थे.
तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा
अर्जेंटीना में उनके निधन के बाद तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा कर दी गई है. दुनियाभर के फुटबॉलप्रेमियों में इस खबर से शोक की लहर दौड़ गई है और सोशल मीडिया पर इस महान फुटबॉलर को श्रृद्धांजलि दी जा रही है. दो सप्ताह पहले ही दिमाग के आपरेशन के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी गई थी.
हैंड ऑफ गॉड भी कहा जाता है माराडोना को
विश्व कप 1986 में इंग्लैंड के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में ‘खुदा का हाथ’ (Hand of God) वाले गोल के कारण फुटबॉल की किवदंतियों में अपना नाम शुमार कराने वाले माराडोना दो दशक से लंबे अपने कैरियर में फुटबालप्रेमियों के नूरे नजर रहे. नशे की लत और राष्ट्रीय टीम के साथ नाकामी ने उनकी साख को ठेस पहुंचाई लेकिन फुटबॉल के दीवानों के लिये वह ‘गोल्डन ब्वाय’ बने रहे.
15 महीनों के लिए बैन भी हो चुके हैं माराडोना
अर्जेंटीना को फुटबॉल विश्व कप जिताने वाले माराडोना के जीवन में एक दिन ऐसा भी आया जब उन्हें अपनी ड्रग्स की बुरी लत के कारण 1991 में 15 महीनों के लिए बैन कर दिया गया था, फिर वो दौर भी आया जब दुनियाभर के फुलबॉल प्रेमियों के चहेते इस खिलाड़ी को 1994 में वर्ड कप से बाहर कर दिया गया. इसके बाद माराडोना के जीवन में फुटबॉल के मैदान की जगह अस्पतालों ने ले ली. साल 1999 उसके बाद साल 2000 में उन्हें दिल की बीमारियों के कारण अस्पताल में एडमिट होना पड़ा था. इसके बाद साल दर साल उनकी तबीयत बिगड़ती ही चली गई.
नशे से छुटकारा पाने के लिए कराया था इलाज
माराडोना न सिर्फ बढ़ती बिमारियों की गिरफ्त में थे बल्कि एक समय ऐसा आया जब उनका वजन भी बढ़ने लगा था, वजन को कम करने के लिए उन्हें दो बार गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी भी कराई पड़ी थी. हालांकि ऐसा नहीं है कि उन्होंने ड्रग्स से खुद को अलग करने की कोशिश न की हो एक समय ऐसा भी आया था जब माराडोना ने ड्रग्स और शराब से छुटकारा पाने के लिए काफी लंबा इलाज लिया था.
करीयर के पीक पर लगी थी ड्रग्स की लत
अर्जेंटीना के इस महान फुटबॉलर की जीवन में ड्रग्स की एंट्री तब हुई जब उनका करियर सफलाओं के नित नए आसमान छू रहा था. इसके बाद से वो ड्रग्स की जाल में फंसते चले गए. माराडोना ने अपनी इस बुरी आदत को लेकर एक बार कहा था कि ‘मैं अपने विपक्षियों को बड़ा अडवांटेज देता हूं. आप जानते हैं कि यदि मैं ड्रग्स नहीं लेता तो मैं कैसा खिलाड़ी हो सकता था.’ उन्होंने बिना किसी झिझक के 1996 में साफ-साफ कहा था कि, ‘मैं ड्रग एडिक्ट था, हूं और रहूंगा.’
माराडोना फुटबॉल का करियर
अगर इस महान खिलाड़ी के फुटबॉल करियर की बात की जाए तो माराडोना ने अर्जेंटीना का प्रतिनिधित्व करते हुए 91 मैचों में 34 गोल किए. इसके साथ ही उन्होंने चार वर्ल्ड कप में भी भाग लिया था. इतना ही नहीं उन्होंने अपनी कप्तानी में अर्जेंटीना को 1986 के विश्व कप में जीत भी दिलाई थी. इस टूर्नामेंट में माराडोना को सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी भी घोषित किया गया था.