रांची: आईआईएम रांची, एबीविसीलपिजी की ओर से शुक्रवार को “लीडरशिप सीरीज़ -1 बिजनेस डेवलपमेंट इन ए ‘ब्लैक स्वान’ इवेंट: द कोवीड क्राइसिस” की एक वेबिनार आयोजित किया गया. वेबिनार का आयोजन अटल बिहारी वाजपेयी सेंटर फॉर लीडरशिप, पॉलिसी एंड गवर्नेंस, (एबीविसीलपिजी), सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, आईआईएम रांची की ओर से हुआ.
आईआईएम रांची के निदेशक प्रो शैलेन्द्र सिंह ने वक्ताओं का स्वागत किया. मौके पर प्रो सिंह ने एबीविसीलपिजी केंद्र द्वारा संचालित गतिविधियों की जानकारी दी. वेबीनार में अभिजीत बैनर्जी, प्रबंध निदेशक, लिंडे इंडिया लिमिटेड व श्री अरुण बालाकृष्णन, गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक, लिंडे इंडिया मुख्या वक्ता के रूप में थे.
मौके पर अभिजीत बैनर्जी ने कंपनी के बारे में विस्ताार से बताया. उन्होंपने कहा कि लिंडे इंडिया औद्योगिक गैसों में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है. उन्होंने गैसों की आकर्षक दुनिया के बारे में भी जानकारी दी. उन्होंनने बताया कि औद्योगिक गैसों का उपयोग आभूषण के पॉलिशिंग, प्रकाशिकी, पेय पदार्थ, कागज के लिए किया जाता है. खाद्य धोखाधड़ी, हृदय शल्य चिकित्सा और प्रत्यारोपण का पता लगाने में मदद करता है. बिना गैसों के, हम मोबाइल फोन का उपयोग नहीं कर सकते.
बनर्जी ने बताया कि महामारी के महीनों के दौरान निजी और सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा ऑक्सीजन का व्यापक उपयोग किया गया था जो लिंडे इंडिया द्वारा आपूर्ति की गई थी. चूंकि औद्योगिक गैसें सभी व्यवसाय की सार है. आगे उन्होंने लिंडे एजी और प्रिक्सेयर इंक (Praxair Inc.) के बीच विलय के बारे में विस्तार से बताया. शेयरों के आदान-प्रदान के माध्यम से एक सही विलय था. विलय के बाद, प्रिक्सेयर इंक (Praxair Inc.) ने अपना नाम बदलकर लिंडे रख लिया। दोनों कंपनियां समान रूप से विभिन्न देशों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी.
गैर-कार्यकारी स्वतंत्र निदेशक अरुण बालाकृष्णन ने संगठन की भूमिका को समझाया. श्री बालकृष्णठन ने बताया कि वे संगठन पर निगरानी रखने वाले संगठन की तीसरी आँख की तरह हैं ताकि कंपनी अपने मानकों का पालन करती रहे. स्वतंत्र निदेशकों के पास कंपनी के शेयरों में हिस्सेदारी नहीं होती है और कंपनी के साथ कोई सीधा संबंध नहीं होता है. वे हमारे ग्राहकों को सर्वोत्तम संभव सेवा प्रदान करना चाहते हैं और उन्हें एक शानदार ग्राहक अनुभव प्रदान कराना चाहते हैं. आज भी मेडिकल ऑक्सीजन के मामले में जनवरी की तुलना में अक्टूबर में बिक्री की मात्रा बहुत अधिक है. प्रो रेखा सिंघल, आईआईएम रांची ने वक्ताओं का स्वागत किया. अंत में, प्रो. नितिन सिंह, आईआईएम रांची द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद प्रस्ताव के साथ वेबिनार का समापन हुआ.