सुरूर रज़ा,
रांची: शहर में ट्रैफिक नियमों का पालन कराने ओर कानून तोड़ने वाले को दंड देने के लिए रांची की ट्रैफिक पुलिस बहुत मेहनत कर रही है, परंतु शहर में बहुत सारे ट्रैफिक लाइट्स हैं जो ठीक से काम नहीं करते, जिससे पब्लिक को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
अधिकांश चौक चौराहों पर ट्रैफिक लाइट खराब पड़ी है. लोगों का यह कहना है कि इसकी वजह काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, बेवजह कभी भी फाइन भरना पड़ जाता, क्योंकि प्रॉपर तरीके से लाइट ना जलने की वजह से लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि कब उन्हें जाना है और कब गाड़ी को रोकना है. ट्रैफिक लाइट्स खराब होने की वजह से लोग चाहकर भी ट्रैफिक के नियमों का पालन नहीं कर पा रहे हैं.
लाखों रुपए खर्च करके सिटी के ट्रैफिक सिस्टम को कंट्रोल करने के लिए सिटी के चौक-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे. मकसद था कि इससे सिटी का ट्रैफिक सिस्टम स्मूथ बना रहेगा. पब्लिक को जाम से छुटकारा मिलेगा, ऐसा कुछ दिखता नजर नहीं आ रहा है.
कया कहते है लोग-
वहीं लोगों ने कहा कि बहुत से जगह पर ट्रैफिक लाइट का कोई मेंटेनेंस नहीं है, जिससे हम लोगों को काफी परेशानियां होती हैं. जिस तरह ट्रैफिक पुलिस जगह-जगह मास्क और हेलमेट का अभियान चला रही है उसी तरह ट्रैफिक लाइट को भी ठीक करना चाहिए, जिससे लोगों को गाड़ी चलाने में कोई दिक्कत ना हो.
- शहर में जगह-जगह पर जाम लगा रहता है. ट्रैफिक लाइटें लगवाने का फैसला अच्छा था पर खराब होने के बाद इनकी कोई सुध लेने वाला ही नहीं है. जब किसी अधिकारी की गाड़ी आती है तो चौक पर तैनात कर्मचारी दूसरे वाहनों को रोक कर अधिकारी की गाड़ी निकाल देते हैं इस लिए उन्हें किसी प्रकार की समस्या का अहसास ही नहीं होता.
- एक बार कुछ महिनों तक ट्रैफिक लाइटें जली पर बाद में फिर वही ढाक के तीन पात. सभी ट्रैफिक लाइटें खराब पड़ी हैं और इनको ठीक करवाने के लिए प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया इससे जाहिर होता है कि यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए प्रशासन जरा भी गंभीर नहीं है.
- दोपहिया वाहन लेकर भी चौक परा करने मुश्किल हो जाता है. गाड़ी लेकर तो शहर में निकलने से ही डर लगने लगा है. ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार करने के लिए ट्रैफिक लाइटें को ठीक करवाया जाए और लोगों को भी ट्रैफिक नियमों की पालना करनी चाहिए ताकि उनकी बजह से दूसरों को असुविधा न हो.
- शहर में यातायात व्यवस्था को बिगाड़ने में प्रशासन का मुख्य हाथ है. यदि प्रशासन चाहे तो क्या ट्रैफिक लाइटें भी ठीक नहीं हो सकती. अधिकारियों को स्वयं दौरा करना चाहिए और जहां समस्या हो उसके समाधान के लिए कदम उठाना चाहिए. सरकार ने अधिकारियों को जनता को सुविधा देने के लिए नियुक्त किया हुआ है. फसली सीजन में किसानों को अपनी फसल मंडी तक ले जाने के लिए महाभारत करनी पड़ती है.
- हर रोज वाहन लेकर शहर आना पड़ता है. सबसे बड़ी समस्या जगह-जगह पर लगे जाम की होती है. ट्रैफिक लाइटें खराब ही देखी हैं. इनको ठीक करवा कर व्यवस्था ठीक करनी चाहिए. क्या एक बार लाखों रुपये खर्च कर ट्रैफिक लाइटें लगवाना ही सुधार का कदम था इसके बाद भी इन लाइटों की देखभाल होनी चाहिए. सभी चौक पार करने में समस्या आती है. किसानों को हर रोज शहर में फसल बेचने और सामान खरीदने आना पड़ता है ऐसे में उनको भारी परेशानी होती है.