अप्रैल और जून 2019 के बीच दो महीने तक सफाई अभियान
पर्वत श्रृंखला से 11,000 किलोग्राम कचरा हटाया गया
11 दिसंबर को इंटरनेशनल माउंटेन डे पर विशेष
जमशेदपुर: माउंट एवरेस्ट पर अप्रैल और जून 2019 के बीच दो महीने तक सफाई अभियान चलाया गया. इस अभियान के द्वारा दुनिया की सबसे चुनौतीपूर्ण पर्वत श्रृंखला से 11,000 किलोग्राम कचरा हटाया गया. जब यह खबर दुनिया भर के अखबारों में प्रकाशित हुई, तो यह स्मारकीय शर्मिंदगी का सबब तो था ही, साथ ही मानवता के लिए एक बड़ा सबक भी था.
प्रकृति की चुनौतियों से निपटने के लिए खोज में हमारे बीच सबसे अच्छे और बुद्धिमान भी कभी-कभी एडवेंचर स्पोर्ट्स के साथ उत्पन्न होने वाली अधिक गंभीर जिम्मेदारियों को पहचानने में विफल रहते हैं. माउंट एवरेस्ट पर कचरा जमा होने की समस्या एक ऐसे बिंदु पर पहुंच गई थी कि 2014 में नेपाल सरकार ने प्रत्येक पर्वतारोही के लिए चोटी से कम से कम 8 किलोग्राम कचरे को अपने साथ लाना अनिवार्य कर दिया था, जो कि एक पर्वतारोही द्वारा उत्पादित कचरा की अनुमानित मात्रा है.
हालांकि बेशक इस तरह के प्रयास सराहनीय हैं, फिर भी यह एक सवाल पैदा करता है कि हम इस समस्या से बचने के लिए क्या कर सकते हैं. हम यह भी जानते हैं कि यह माउंट एवरेस्ट के लिए किसी तरह से अनोखा नहीं है, लेकिन एक स्थानिक चुनौती है, जो एडवेंचर स्पोर्ट्स के अन्य रूपों में भी व्याप्त है.
टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) ने इस चुनौती को स्वीकार किया है, जिसे व्यक्तिगत और संस्थागत दोनों स्तरों पर संबोधित करना होगा- व्यक्तिगत स्तर पर शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से और संस्थागत स्तर पर एडवेंचर स्पोर्ट्स बिरादरी के भीतर व्यवहार परिवर्तन लाने के लिए उत्प्रेरक बनकर.
भारत की लीजेंड्री पर्वतारोही और माउंट एवरेस्ट को फतह करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल द्वारा 1984 में स्थापना के बाद टीएसएएफ का नेतृत्व त्रिआयामी दर्शन- आत्मसम्मान, दूसरों के लिए सम्मान और पर्यावरण के प्रति सम्मान के रूप में किया गया है.
व्यक्तिगत जिम्मेदारी के स्पर्श के साथ एडवेंचर स्पोर्ट्स को बढ़ावा देना पर्यावरणीय चुनौतियों से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका है. उदाहरण के लिए, यात्रा का कोई निशान नहीं छोड़ने और यहां तक कि इसे बेहतर बनाने की कोशिश करने का सिद्धांत सभी टीएसएएफ द्वारा प्रस्तावित पाठ्यक्रमों और अभियानों का एक अभिन्न अंग है. . टीएसएएफ ने उत्तरकाशी के काफ्लोन शिविर में एक शून्य अपशिष्ट नीति भी अपनाई है.
अपने अभियानों के दौरान, टीएसएएफ ने कचरे से निपटने के लिए सरल ‘3आर’ नियम (रिड्यूस, रीयूज, रिसाइकिल) को अपनाया था. यह बहुत प्रभावी रहा है, क्योंकि यह कचरे से निपटने के लिए भ्रम की कोई गुंजाइश नहीं रखता है. सभी पाठ्यक्रमों में उत्पन्न सभी कचरे को अच्छी तरह से अलग किया जाता है और फिर इसका पुनर्नवीनीकरण या पुनः उपयोग किया जाता है.
सबसे बड़ी चुनौती पॉलिथीन और रैपर को निपटाना था. अब, टीएसएएफ कचरे से इको-ब्रिक्स बनाकर इस समस्या से निपटती है. इको-ब्रिक्स (ईंटें) एक नया, लेकिन सरल विचार है, जहां हम सभी रैपरों को बोतल में भरते हैं, जिन्हें बाद में फर्नीचर या दीवारों के निर्माण के लिए एक ईंट के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक और सरल कदम जो कारगर साबित हुआ है, वह है इसके स्रोत पर ही अपशिष्ट समस्या से निपटना. टीएसएएफ रसोई के सामानों की तर्कसंगत खरीद और एकल उपयोग वाले प्लास्टिक को हतोत्साहित कर प्लास्टिक की खपत को कम करता है.
टीएसएएफ नियमित रूप से जमशेदपुर और उत्तरकाशी के आस-पास सफाई अभियानों का आयोजन करता है, जो मुख्यतः स्वयंसेवकों द्वारा संचालित किया जाता है. इन अभियानों के दौरान एकत्र कचरे के जिम्मेदार निपटान के लिए स्थानीय नगर निकायों को सौंप दिया जाता है.
अक्टूबर 2018 में तीन सप्ताह तक चलने वाले ‘मिशन गंगे’ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हरी झंडी दिखाई गई थी और टीएसएएफ के तत्कालीन डायरेक्टर पाल ने इसका नेतृत्व किया था. हरिद्वार में शुरू और पटना में समाप्त हुए इस अभियान के 1,500 किलोमीटर लंबे मार्ग से हम 55 टन कचरे को साफ करने में कामयाब रहे. यह अभियान किसी मायने में छोटी सफलता नहीं थी, जिसे 40 स्वयंसेवकों की टीम ने संभव कर दिखाया, जिसमें 8 एवरेस्टर्स, 5 आईआईटीयन, एमबीए ग्रेजुएट और टाटा स्टील के कर्मचारी शामिल थे.
स्वस्थ जीवन को बढ़ावा देने के लिए एडवेंचर स्पोर्ट्स बहुत शक्तिशाली और प्रभावी तरीका है और कई अन्य खेलों के विपरीत यह लोगों को हमारी जीवनशैली और पर्यावरण के बीच खतरनाक कड़ी के बारे में अधिक जागरूक बनने का एक अनूठा अवसर भी प्रदान करता है. तो आइये, पर्यावरण कल्याण के प्रति अपनी जवाबदेही स्वीकार कर और जिम्मेदार पर्वतारोहण को अपनाने का वचन देकर अपने और समाज की बेहतर सेवा करें.