रांची: झारखंड में जनजातीय परामर्शदात्री परिषद (TAC) के गठन की गांठ खुल नहीं पा रही है. अब तक दो बार इसकी फाइल राजभवन ने कुछ सुझाव और आपत्ति के साथ सरकार को लौटा दी है. ऐसे में टीएसी के गठन को लेकर राजभवन और राज्य सरकार के बीच मतभेद उभरता हुआ दिख रहा है.
राज्य की हेमंत सोरेन सरकार के एक साल पूरे होने वाले है, लेकिन अब तक टीएसी का गठन नहीं हो पाया है. देर से ही सही पर राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने इसको लेकर फाइल राजभवन को भेजी थी, पर राजभवन ने कुछ सुझाव और कुछ आपत्ति के साथ राज्य सरकार को ये फाइल लौटा दी. झारखंड जैसे पांचवी अनुसूची में शामिल राज्य के लिये टीएसी का गठन बेहद ही जरूरी है.
टीएसी के पूर्व सदस्य रतन तिर्की ने बताया कि टीएसी की फाइल दो बार राजभवन से लौटाई जा चुकी है. दरअसल राजभवन नामित सदस्यों के चरित्र प्रमाण पत्र और कुछ सदस्यों के नाम पर सुझाव और आपत्ति सरकार के समक्ष रखी है.
टीएसी के पूर्व सदस्य व विधायक बंधु तिर्की कहते हैं कि इससे पहले टीएसी के गठन में इस तरह की उलझन कभी सामने नहीं आई थी. इससे प्रदेश में जनजातीय समाज का विकास प्रभावित हो रहा है.
झारखंड में टीएसी का मुद्दा कहीं सरकार और राजभवन को आमने-सामने न ले आए. हालांकि सरकार तीसरी बार इससे जुड़ी फाइल राजभवन को भेजने की तैयारी में जुटी है. देखना ये होगा की राजभवन के सुझाव और राज्य सरकार के संशोधन का ये सिलसिला कब तक थमता है, क्योंकि जब तक राज्यपाल की सहमत नहीं होगी, तब तक टीएसी का गठन नामुमकिन सा लगता है.