दिल्ली: भारत में भी अब कोरोना वैक्सीन की मंजूरी व टीकाकरण अभियान शुरू होने का इंतजार है. केंद्र सरकार ने टीकाकरण अभियान को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किए हैं. इनके अनुसार देशभर में टीकाकरण बूथ या केंद्र बनाए जाएंगे. वहां रोजाना अधिकतम 200 लोगों को टीके लगाए जा सकेंगे. इन केंद्रों पर तमाम तरह के प्रबंध होंगे. टीका लगवाने के लिए जल्द लांच होने वाले कोविन एप पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा. 12 में से किसी एक फोटो पहचान पत्र यानी फोटो आईडी से सत्यापन के बाद ही इन केंद्रों पर टीके लगाए जाएंगे.
टीका लगाने के बााद 30 मिनट रखेंगे नजर
वैक्सीन लगाए जाने के बाद व्यक्ति पर 30 मिनट तक नजर रखी जाएगी, ताकि यह जांच की जा सके कि उसे वैक्सीन का दुष्प्रभाव तो नहीं हो रहा है. वहीं, अगर पर्याप्त रखरखाव की सुविधा, प्रतीक्षालय, अवलोकन केंद्र के लिए जगह रहती है तो एक दिन में 200 लोगों का टीकाकरण किया जा सकेगा. पहले एक बूथ पर केवल 100 लोगों को वैक्सीन लगाने की अनुमति थी.
वैक्सीन लगवाने के लिए किए जाने वाले पंजीकरण में व्यक्ति के पास 12 तरह के फोटो पहचान पत्र का विकल्प होगा, जिसमें से किसी का भी प्रयोग कर कोविड प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण करवाया जा सकेगा. इनमें वोटर आईडी, आधार, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट और पेंशन के दस्तावेज शामिल हैं.
जिन लोगों ने वैक्सीन के लिए पहले से ही पंजीकरण करवाया हुआ है, उन्हें टीकाकरण केंद्र पर अन्य के मुकाबले प्राथमिकता दी जाएगी. किसी भी व्यक्ति का टीकाकरण केंद्र पर पंजीकरण नहीं किया जाएगा. बता दें कि पहले चरण में देशभर में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली खुराक दी जाएगी.
ब्रिटेन में मिला कोरोना का नया प्रकार सार्सकोव2
इसी बीच, ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैंकॉक ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस के एक नए प्रकार की पहचान की गई है, जो इंग्लैंड के दक्षिण पूर्व इलाकों में काफी तेजी से फैल रहा है. उन्होंने सोमवार को हाउस ऑफ कॉमन्स में कहा कि कोरोना वायरस के नए प्रकार सार्सकोव2 (Sarscov2) के अब तक 1000 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं.
मैट हैंकॉक ने बताया कि यह वर्तमान में मौजूद कोरोना वायरस के मुकाबले काफी तेजी से फैल रहा है. हालांकि, उन्होंने कहा कि फिलहाल हमारे पास ऐसे कोई सबूत नहीं हैं कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार पर वैक्सीन का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका पहला मामला पिछले सप्ताह केंट में सामने आया था.
उन्होंने कहा, ‘अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बता सके कि सार्सकोव-2 ज्यादा गंभीर बीमारी का कारण बन सकता है और ताजा चिकित्सकीय सलाह के अनुसार इस बात की संभावना न के बराबर है कि कोरोना वायरस के इस नए प्रकार पर देश में लोगों को लगाई जा रही वैक्सीन का प्रभाव न पड़े.’