नई दिल्ली: अमेरिका की एक निगरानी संस्था ने इस साल रिकॉर्ड संख्या में पत्रकारों को जेल भेजे जाने का खुलासा किया है. कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (सीपीजे) की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में मीडिया और पत्रकारों का दमन जारी है.
सीपीजे के रिपोर्ट मुताबिक, कई देशों की सरकारें लगातार मीडिया की आजादी छीन रही हैं. महामारी के दौरान भी भ्रामक सूचना के आरोप में पत्रकारों को बड़े पैमाने पर जेल भेजा गया. अब इस संबंध में साल पूरा होने के बाद आंकड़ा सामने आया है.
अमेरिकी रिपोर्ट के हवाले से साइमन ने कहा पत्रकारों का दमन, मीडिया सेंसरशिप का रूप है जो सूचना के प्रवाह को बाधित करता है. वैश्विक स्तर पर मीडिया को दबाने में चीन सबसे आगे है. चीन में इस साल 2020 में 47 पत्रकारों को जेल भेजा गया. चीन में पत्रकारों के खिलाफ बर्बरतापूर्ण अत्याचार होता है.
बता दें कि चीन के बाद पत्रकारों को परेशान करने के मामले में तुर्की दूसरे और मिस्र तीसरे नबंर पर शामिल है. इसके अलावा, सऊदी अरब, बेलारूस, इथियोपिया का नाम शामिल है. बेलारूस और इथियोपिया में तो पत्रकारों की सबसे ज्यादा गिरफ्तारी उनके प्रोटेस्ट के दौरान हुई.
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में कुल 274 पत्रकारों को जेल की सलाखों के पीछे धकेल दिया गया. संस्थान के सर्वे के मुताबिक पत्रकारों के जेल भेजने का ये आंकड़ा एक रिकॉर्ड बन गया है. सीपीजे ने 1990 के दशक में पत्रकारों पर शोध और अध्यन शुरू किया था. इस साल की रिपोर्ट में 26 मीडियाकर्मियों की मौत की डिटेल शामिल है लेकिन असल आंकड़ा इससे बड़ा हो सकता है.