कोलकाता: पश्चिम बंगाल में शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली के दौरान टीएमसी के पूर्व नेता सुवेंदु अधिकारी ने बीजेपी का दामन थाम लिया. कई दिनों से अधिकारी के बीजेपी में जाने की अटकले थीं. अधिकारी शनिवार को शाह की रैली में शामिल होने पहुंचे थे. उन्हें मंच पर अमित शाह के बगल में जगह दी गई थी. अधिकारी के साथ सुनील मंडल, दीपाली विश्वास समेत कई नेताओं ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की.
बता दें कि ममता बनर्जी के करीबी और प्रदेश के परिवहन मंत्री अधिकारी ने कुछ दिन पहले टीएमसी से इस्तीफा दिया था. अधिकारी के पिता और भाई भी टीएमसी से सांसद हैं. हालांकि, उन्होंने सुवेंदु के पार्टी छोड़ने पर चुप्पी साध रखी है लेकिन माना जा रहा है कि जल्दी ही वे भी पार्टी का साथ छोड़ देंगे.
टीएमसी से दिया इस्तीफा
सुवेंदु ममता बनर्जी की सरकार में परिवहन मंत्री थे. उन्होंने 27 नवंबर को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. अटकलें थीं कि बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व से संपर्क होने के बाद सुवेंदु ने अपना पद छोड़ा था. इस दौरान उन्होंने सीएम और राज्यपाल को ई-मेल से इस्तीफा भेजा था. इस्तीफा देने के बाद ममता बनर्जी ने सुवेंदु अधिकारी की आलोचना की थी. इसके अलावा सुवेंदु समेत कई अन्य टीएमसी नेताओं के बीजेपी के संपर्क में होने की खबरों पर ममता ने यह भी कहा था कि जिसे भी टीएमसी छोड़कर जाना हो वह जा सकता है.
टीएमसी से इस्तीफा देने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय को सुवेंदु की सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश भी मिले थे. इसके तहत सुवेंदु को जेड ग्रेड सिक्यॉरिटी कवर देने का फैसला किया गया. हालांकि टीएमसी में रहने के दौरान सुवेंदु ने सुरक्षा ना लेने की बात भी कही थी.
कौन हैं सुवेंदु अधिकारी?
सुवेंदु अधिकारी ममता बनर्जी सरकार में परिवहन, सिंचाई और जल संसाधन मंत्री थे. वह 15 वीं और 16वीं लोकसभा के सदस्य भी रह चुके हैं. सुवेंदु के नाम के साथ ही 2007 में टीएमसी के नंदीग्राम आंदोलन का जिक्र उठता है. ममता बनर्जी के नेतृत्व में 2007 में हुए इस आंदोलन ने ही बंगाल में दशकों से चले आ रहे लेफ्ट के राज को उखाड़ फेंका था. इस आंदोलन का खाका सुवेंदु ने ही तैयार किया था. उनके पिता शिशिर अधिकारी और छोटे भाई दिव्येंदु अधिकारी तामलुक और कांती सीट से टीएमसी सांसद हैं. शिशिर अधिकारी मनमोहन सरकार में ग्रामीण विकास राज्यमंत्री भी रह चुके हैं.
ममता से क्यों नाराज हैं सुवेंदु?
सुवेंदु की नाराजगी की वजह पार्टी के दूसरे नेताओं की तुलना में ममता बनर्जी का अपने भतीजे अभिषेक बनर्जी को अधिक अहमियत देना माना जा रहा है. ममता अघोषित रूप से अभिषेक बनर्जी को अपना उत्तराधिकारी बना चुकी हैं. सुवेंदु जैसे पार्टी के कद्दावर नेता इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं है. सुवेंदुने खुल कर कभी भी पार्टी प्रमुख के खिलाफ कुछ नहीं कहा है लेकिन तृणमूल के अंदर वह लगातार निशाने पर रहे हैं.