रांची: 15वें वित्त आयोग के फैसले के कारण झारखंड के 2500 की संख्या में कार्यरत इंजीनियर और लेखापाल के समक्ष संकट की स्थिति उत्पन्न हो गयी. इनकी सेवा रहेगी या नहीं, इसे लेकर अनिश्चितता का माहौल है. ऐसे में 14वें वित्त आयोग में कार्यरत 2500 इंजीनियर और लेखापाल अपनी सेवा विस्तार की मांग को लेकर रविवार को राजधानी रांची के पुराने विधानसभा मैदान के निकट धरना पर बैठे है.
धरना पर बैठे प्रदर्शनकारियों ने बताया कि उन्हें 14वें वित्त आयोग से मानदेय का भुगतान होता था, लेकिन 15वें वित्त आयोग की ओर से प्रशासनिक मद में इसके लिए राशि आवंटित नहीं की है. ऐसे में यह अब तक साफ नहीं हो पाया है कि राज्य सरकार की ओर से उनकी सेवा को बहाल रखेगी या नहीं. हालांकि कोरोना संक्रमण काल में तीन-तीन महीने कर उन्हें सेवा विस्तार भी मिला और अब 31 दिसंबर के बाद उनकी क्या स्थिति रहेगी,इसे लेकर वे सभी चिंतित है.
प्रदर्शनकारी इंजीनियर और लेखापाल का कहना है कि जिस तरह से बिहार में बीच का रास्ता निकालते हुए 14वें वित्त आयोग में कार्यरत अभियंता व लेखापाल की सेवा को जारी रखने का निर्णय लिया गया है और उनके मानदेय का भुगतान बिहार राज्य वित्त आयोग से करने का फैसला लिया गया है, उसी तरह का कदम झारखंड सरकार द्वारा भी उठाना चाहिए.