जंगली पेड़ों में सजे इन फलों ने बढ़ाई वनों की शोभा
चतरा:- झारखंड के चतरा जिले के वन्य क्षेत्र खासकर शरद ऋतु के काल में इन दिनों जंगली फलों से लदे पड़े है और इसके साथ ही यह खट्टे-मीठे रसीले फल वनों की शोभा भी बढ़ा रहे है. बताते हैं कि यह जंगली फल जहां खाने में बेहद स्वादिष्टपूर्ण है. वही सेहत के दृष्टिकोण से भी भरपूर फायदेमंद है. शरद ऋतु में फलने वाले यह फल सुपाच्य और औषधीय गुणों से परिपूर्ण भी है. ऐसे में इनके शौकीन शख्स जंगलों में जमे और जमके इसके जायके का लुफ्त उठा रहे है.
क्या-क्या है वनों में फले
जंगलों तथा वनों की शोभा बढ़ा रहे इन फलों के पेड़ों में सजे कनोद, बेर, डठोर, कटार और आँवला आदि जैसे गुणकारी तथा स्वादिष्ट फल जंगलों की शोभा बढ़ा रहे है. इसके अलावा जनजातीय समुदाय का सबसे पंसदीदा आहार गैठी-देना भी तैयार है. जनजातीय समुदाय में इसे बेहद पोष्टिक और बल वर्धक आहार के रूप में जाना जाता है.
पशु-पक्षी भी है इसके खूब मुरीद
जंगली फल पशु-पक्षियों का भी पसंदीदा आहार है. फल के पकते ही सम्पूर्ण जंगल चहक उठा है. यहां सुबह से शाम तक पक्षी उनके पौधों के समीप झूमते नजर आ रहे है. वही शाम ढ़लते ही वन पशु वहां डेरा जमाए हुए है.
जनजातीय समुदाय की हो रही अच्छी कमाई
इन जंगली फलों से जनजातीय समुदाय की अच्छी कमाई भी हो रही है. समुदाय के लोग बड़ी जतन से फलों को इकट्ठा कर रहे है और बाजार में लाकर बेच रहे है. बाजार में इसके खरीदार भी खूब मिल रहे है. ऐसे में गरीबों को जीने का यह मात्र एक सहारा है. यह फल उनके जीविका चलाने में सहारा दे रहा है.
दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि वनों में इनकी गिनती पौष्टिक फलों के रूप में तो होती ही है. इसके अलावा ये औषधिय गुणों से भी परिपूर्ण होने के साथ-साथ जड़ी-बूटियों के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है. कहते हैं कि ग्रामीण इसकी महत्ता को समझे और सावधानी से इसका उपयोग करे. इनको संरक्षित और संवर्धित करें तथा वनों की रक्षा में अपनी सहयोग दें.