कानपुर : भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर ने घोड़े की एक नए प्रकार की नाल (हॉर्सशू) विकसित की है, जो लंबे समय तक चलने के साथ-साथ उन्हें बदलते समय घोड़ों को होने वाले कष्टदायी दर्द से भी बचाएगी. घोड़ों को पहनाई जाने वाली नाल एक हफ्ते के भीतर खुरदुरी हो जाती है लेकिन जानवर का मालिक इसे महीनों तक चलाता है, जिसके कारण घोड़ों को कष्ट और परेशानी झेलनी पड़ती है. नए घोड़े की नाल कम से कम एक महीने तक काम करेगी.
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आईआईटी के रूरल टेक्नोलॉजी एक्शन ग्रुप की संयोजक रीता सिंह ने कहा कि इस हॉर्सशू को बनाने में घर निर्माण के प्रयोग में लाई जाने वाली लोहे की छड़ का उपयोग किया गया है. इसमें कम कार्बन होता है और इस तरह यह आसानी से मिल जाता है.
उन्होंने कहा, “असल में, यह हॉर्सशू एक निश्चित समय के बाद अपने आप ही नीचे गिर जाएगा.”