दिल्ली: रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया में चल रही सरकारी कंपनी एयर इंडिया (Air India) की पायलट यूनियनों ने अपने वेतन की कटौती में पांच प्रतिशत कम करने के प्रबंधन के निर्णय को अस्वीकार कर दिया है. यूनियनों ने धमकी दी है वेतन कटौती में अच्छी खासी कमी न की गयी तो वे हड़ताल का रास्ता पकड़ सकती हैं.
एयर इंडिया के चेयरमैन प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को लिखे एक संयुक्त पत्र में, दो यूनियनों इंडियन पायलट्स गिल्ड इंडियन कमर्शियल पायलट एसोसिएशन ने कहा कि मौजूदा वेतन कटौती के स्तर को पांच प्रतिशत कम करना निहायत अपमानजनक है.
उन्होंने कहा कि इस कदम के बावजूद पायलटों के लिए वर्तमान सकल वेतन की कटौती मात्र तीन प्रतिशत घटी है. पिछले महीने नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को लिखे एक पत्र में, यूनियनों ने कहा था कि अन्य एयरलाइनों ने वेतन भत्तों को फिर से बहाल कर दिया है, लेकिन एयर इंडिया समूह के पायलटों को कम वेतन मिलना जारी है, जो सामान्य वेतन से 70 प्रतिशत तक कम है.
बता दें कि एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष तक खींच सकती है. एक अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अब तीन महीने से कुछ ही अधिक समय बचे हैं, ऐसे में विनिवेश प्रक्रिया के पूरा होने की संभावना बहुत कम है.
नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाला टाटा समूह तथा अमेरिका का कोष इंटरअप्स इंक समेत कई इकाइयों ने सरकारी एयरलाइन में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर पिछले सप्ताह प्रारंभिक बोलियां लगायी. बोली जमा करने की समयसीमा 14 दिसंबर को समाप्त हुई है.
200 से अधिक कर्मचारियों के समूह ने भी जमा किया है रूचि पत्र
एयर इंडिया के 200 से अधिक कर्मचारियों के समूह ने भी इंटरअप्स के साथ मिलकर रूचि पत्र (ईओआई) जमा किया है. एक अधिकारी ने कहा कि सौदा परामर्शदाता छह जनवरी को पात्र बोलीदाताओं को सूचित करेंगे. उसके बाद बोलीदाताओं को एयर इंडिया की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी से जुड़े आंकड़ें उपलब्ध कराये जाएंगे.
अधिकारी ने कहा कि शेयर खरीद समझौता बोलीदाताओं के साथ साझा किया जाएगा. उसके बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी. उसने कहा कि सौदा अगले वित्त वर्ष में पूरा होगा क्योंकि हमारा अनुमान है कि बोलीदाताओं को आंकड़ों (वर्चुअल डाटा रूम) तक पहुंच वित्तीय बोली जमा करने से पहले कई सवाल होंगे.
100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है सरकार
गौरतलब है कि सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है. कंपनी 2007 में घरेलू एयरलाइन इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद से घाटे में है. हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई है सरकार एयरलाइन के लिये प्रारंभिक बोली लगाने को लेकर समयसीमा पांच बार बढ़ा चुकी है.
सरकार 2017 से एयर इंडिया को बेचने का प्रयास कर रही है, लेकिन किसी ने कोई खास रूचि नहीं दिखायी. इसको देखते हुए सरकार ने इस बार सौदे से जुड़ी शर्तों को हल्का बनाया है, इसके तहत संभावित बोलीदाताओं को इस बारे में निर्णय करना है कि एयरलाइन का कितना कर्ज वे सौदे के तहत लेना चाहते हैं. अबतक बोलीदाताओं को पूरे 60,074 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेने की जरूरत थी.