दिल्ली: भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने अब रॉकेट्स और सैटेलाइट्स के लिए बढ़ती चिप की मांग को देश में ही पूरा करने का मन बना लिया है. इसरो की योजना चंडीगढ़ में सेमीकंडक्टर लैबोरेट्री (एससीएल) को शुरू करने की है.
इसरो ने यह योजना स्पेस सेक्टर को निजी कंपनियों और स्टार्टअप्स के लिए खोलने की है. इसरो ऐसे समय पर इस काम को करने के लिए आगे आई है जब सरकार देश में स्थानीय चिप मार्केट को आगे बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की कंपनियों को प्रोत्साहित करने की तरफ देख रही है.
एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत मोबाइल फोन की मैन्युफैक्चरिंग में अपनी हिस्सेदारी को वैश्विक स्तर पर बढ़ा रहा है. साथ ही आईटी हार्डवेयर, ऑटोमोटिव इलेक्ट्रॉनिक्स, इंडस्ट्रीयल इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल इलेक्ट्रॉनिक्स, इंटरनेट से जुडा सामान और दूसरी डिवाइसेज की मैन्युफैक्चरिंग में इजाफा हो रहा है.
साल 2025 तक इस मार्केट के 400 बिलियन डॉलर तक होने की संभावना जताई जा चुकी है. सरकार ने कहा है कि वह इसमें और ज्यादा हितों को तवज्जों देने के लिए रेडी है. एससीएल के पास180 नैनोमीटर का सेंटर है जो कि रणनीतिक मकसदों को पूरा करने के लिए चिप तैयार करता है.
एससीएल और बेंगलुरु स्थित सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी एंड अप्लाईड रिसर्च सेंटर (SITAR) भी माइक्रो इलेक्ट्रिकल मैकेनिकल सिस्टम्स (MeMs) और सेंसर्स को तैयार करता है जिनका प्रयोग संवेदनशील इलाकों में होता है.
SITAR हैदराबाद में एक गैलियम आरसेनाइड इनेबिलंग टेक्नोलॉजी सेंटर का भी संचालन करता है. लेकिन इसके बाद भी ज्यादतर जरूरतों को आयात के जरिए ही पूरा किया जा रहा है. विशेषज्ञों की मानें तो देश में उस इको सिस्टम की कमी है जिसके बाद सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरर्स इस जरूरत को पूरा कर सकें.