सुरूर रज़ा,
रांची: नये साल के आने की आहट के साथ बाजार में मुबारकबाद देने के लिए तरह-तरह के ग्रीटिंग्स कार्ड बाजार में आ चुके हैं. हालांकि लोगों की पसंद अब वर्चुअल ग्रीटिंग्स कार्ड बन गई है.
पहले घरों में बच्चे रंग-बिरंगे कागज पर पेंटिंग कर अपना ग्रीटिंग कार्ड बनाते थे. इसके लिए कई दिन पहले से तैयारी होती थी.
लोग रंगीन स्याही से इन कार्डो पर शायरी, कविता और दिल को छू लेने वाले संदेश लिखकर नये साल की एक दूसरे को बधाई देते थे.
एक दौर वो भी था, जब नए साल की शुभकामना ग्रीटिंग कार्ड के बिना अधूरी सी लगती थी. कई दिन पहले से कार्ड की बिक्री होने लगती थी.
अपने मित्रों और चाहने वाले को लोग डाक से भी ग्रीटिंग कार्ड भेजते थे. कई लोग खुद भी कार्ड बनाते थे, लेकिन समय के साथ अब बहुत कुछ बदल चुका है. सोशल मीडिया और स्मार्टफोन ने इस प्रचलन को काफी हद तक कम कर दिया है.
बाजार में कार्ड्स की बिक्री तो हो रही है, मगर वैसी रौनक नहीं है. वहीं नए साल के दस्तक देते ही बधाई और शुभकामना देने का दौर शुरू हो जाता है.
कार्ड बधाई देने का सबसे प्रचलित और प्रभावशाली माध्यम रहे हैं. हमेशा की तरह इस बार भी दुकानों पर नए साल के कार्ड सज गए हैं. अब पहली की तरह चहल-पहल नहीं है. सोशल मीडिया ने असर तो जरूर डाला है, लेकिन यह बाजार से दूर नहीं हुआ हैं. दुकान में कार्ड के एक से बढ़कर एक खूबसूरत और मनमोहक डिजाइन उपलब्ध हैं, पर वर्चुअल कार्ड ने अपनी अलग पहचान बना ली है.
क्या कहते है कार्ड विक्रेता-
दुकानदार सहजूद आलम का कहना है कि कोरोना की वजह से बाजार ऐसे ही मंदा पड़ा है. पहले लोग ग्रीटिंग कार्ड लेना पसंद करते थे. अब सोशल मीडिया और वर्चुअल कार्ड की वजह से हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लोगों की पसंद अब बदल गयी है.
यूं तो हमारे यहां ₹20 से लेकर ₹400 तक के कार्ड है, परंतु लोग अब ग्रीटिंग कार्ड के बदले वर्चुअल कार्ड ही भेज रहे हैं.