दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमा पर किसान संगठनों का आंदोलन शनिवार को 38वें दिन भी जारी है. कड़ाके की ठंड का उन पर कोई असर नहीं है और वे अपनी मांगों के पूरा होने तक धरना प्रदर्शन करने को कृत संकल्प हैं. किसान संगठनों के नेताओं का कहना है कि कृषि कानूनों की वापसी तक उनका आंदोलन जारी रहेगा.
इस बीच यूपी गेट पर किसान आंदोलन में शामिल एक बुजुर्ग किसान ने शनिवार सुबह आत्महत्या कर ली. किसान का शव बाथरूम के अंदर मिला. शव के पास से गुरुमुखी में लिखा एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया है. मृतक किसान कश्मीर सिंह (57) रामपुर के बिलासपुर के रहने वाले थे. उन्होंने अपना अंतिम संस्कार यूपी गेट पर ही कराये जाने की इच्छा जताई है. मृतक का पुत्र और पोता भी यहीं आया हुआ है. इससे पहले कल यहां एक अन्य किसान की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. बीते 24 घंटे में मौत का यह दूसरा मामला है.
पंजाब, राजस्थान और कई अन्य राज्यों से किसानों के नए-नए जत्थे दिल्ली की सीमाओं पर पहुंचने लगे हैं. किसान संगठनों के लोग ट्रैक्टर-ट्रॉली से आ रहे हैं. वे अपने साथ राशन-पानी भी ला रहे हैं. नए जत्थों में युवाओं के अलावा महिलाएं और बच्चे भी हैं. सरकार और किसान संगठनों के बीच 4 जनवरी को अगले दौर की बातचीत होने वाली है. सरकार और किसान संगठनों के बीच दो मामलों पर सहमति बनी है, जिनमें बिजली बिल पर सब्सिडी जारी रखना और पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किया जाना प्रमुख है.
वहीं स्वराज इंडिया प्रमुख योगेंद्र यादव ने कहा कि यह कोरा झूठ है कि सरकार ने किसानों की 50 प्रतिशत मांगें स्वीकार कर ली हैं. हमें अभी तक कागज पर कुछ नहीं मिला है.
योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों के ये आंदोलन अब निर्णायक दौर में हैं, 30 तारीख की वार्ता के बारे में मैं इतना ही कहूंगा कि अभी तो पूंछ निकली है, हाथी निकलना अभी बाकी है. MSP को कानूनी अधिकार मिलने और तीनों कृषि कानूनों को खारिज करने पर सरकार टस से मस नहीं हुई है.
प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों ने कहा कि हमने 26 जनवरी को दिल्ली की ओर एक ट्रैक्टर परेड का आह्वान किया है.
किसान नेता दर्शन पाल ने कहा कि राष्ट्रीय ध्वज के साथ 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड को ‘किसान परेड’ कहा जाएगा.
किसान नेता अशोक धवले ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हमारे आंदोलन के दौरान 50 से अधिक किसान ”शहीद हो गए हैं.
किसान यूनियन ने कहा कि हम शांतिपूर्ण थे, शांतिपूर्ण हैं और शांतिपूर्ण रहेंगे, लेकिन तब तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहेंगे, जब तक कि नए कृषि कानूनों को निरस्त नहीं किया जाता.