रांची: एक तरफ झारखंड राज्य में खाद्य पदार्थों में मिलावट का धंधा जोरों पर है, दूसरी तरफ राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थ की जांच करने वाली एकमात्र फूड लेबोरेटरी में सैंपल जांच पर एनएबीएल ने रोक लगा दी है. फूड लेबोरेटरी की मान्यता रद्द होने के बाद अब इन लेबोरेटरी में खाने के सामान में किसी तरह की मिलावट की जांच नहीं हो पाएगी. अगर जांच भी की जाती है तो उसे क़ानूनी मान्यता नहीं मिल पायेगी. लैब की मान्यता रद्द होने से अब राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थों के कारोबार पर लगाम लगाना मुश्किल हो जाएगा.
दरअसल, राज्य के एकमात्र स्टेट फूड टेस्टिंग लेबोरेटरी की मान्यता नेशनल एक्रीडिएशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज यानी एनएबीएल ने रद्द कर दी है. अब यहां लीगल सैंपल की जांच संभव नहीं हो पाएगी. यहां खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच पर रोक लगा दी गई है. लैब अपडेट नहीं होने के साथ-साथ, मैनपावर की कमी की वजह से लेबोरेटरी की मान्यता एनएबीएल द्वरा रद्द कर दी गई है.
इस मुद्दे पर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता खुद मानते हैं कि लैब में मैन पावर की कमी है और रिक्त पदों को भरने के लिए कार्मिक विभाग को लिखा गया है, हालांकि स्वास्थ्य मंत्री यह नहीं बता पाए कि अब खाद्य पदार्थों में मिलावट की जांच कहां और कैसे होगी. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि ”लैब में मैन पावर की कमी है, और रिक्त पदों को भरने के लिए कार्मिक विभाग को लिखा गया है, इसको लेकर पत्राचार किया जा रहा है, दो तीन दिनों में खबर आने की उम्मीद है.”
खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार, फूड टेस्टिंग लैब को एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होना जरूरी है. एनएबीएल ने झारखंड की इस लेबोरेटरी को कुछ शर्तों के साथ सैंपल जांच की मान्यता दी थी. 2006 से स्टेट लैब चल रही थी और इसे 2011 तक एनएबीएल के मानक के अनुसार विकसित हो जाना चाहिए था, सरकार ने उस वक्त कहा था कि जब तक एक्रीडिएशन नहीं मिलता है, तब तक इसी लैब में काम चलाते रहना है, एनएबीएल के मानकों के अनुसार 2020 तक इस लैब के अपग्रेड नहीं होने की वजह से इसकी औपबंधिक मान्यता अब रद्द कर दी गई है. इस वजह से अब इस लैब में होने वाली जांच की कोई वैधानिक मान्यता ही नहीं रह जाएगी.