नई दिल्ली: किसान आंदोलन मामले में केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में प्रारंभिक हलफनामा दाखिल किया है. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद केंद्र ने कोर्ट से कहा कि प्रदर्शनकारियों की “गलत धारणा” को दूर करने की जरूरत है. कृषि मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि प्रदर्शनकारियों में यह गलत धारणा है कि केंद्र सरकार और संसद ने कभी भी किसी भी समिति द्वारा परामर्श प्रक्रिया का पालन करते हुए मुद्दों की जांच नहीं की है.
इसके साथ ही हलफनामे में यह भी कहा गया है कि कानून दो दशकों के विचार-विमर्श का परिणाम है. कृषि कानूनों से किसान खुश हैं कि उन्हें अपनी फसलें बेचने के लिए मौजूदा विकल्प के साथ एक अतिरिक्त विलक्ल भी दिया गया है. इससे साफ है कि किसानों का कोई भी निहित अधिकार इन कानूनों के जरिए छीना नहीं जा रहा है. इसके साथ ही कहा गया कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ जुड़ने की पूरी कोशिश की है और किसी भी प्रयास में कमी नहीं की है.
केंद्र ने दाखिल की अर्जी:
दिल्ली की सरहद पर जमे प्रदर्शनकारी किसानों द्वारा 26 जनवरी को ट्रेक्टर रैली निकालने की मंशा को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में केंद्र सरकार ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों के द्वारा ट्रैक्टर रैली न निकालने का आदेश सुप्रीम कोर्ट जारी करे. ऐसे में कोर्ट आज केंद्र की इस अर्जी पर भी सुनवाई कर सकता है.
आज फैसला सुना सकता है सुप्रीम कोर्ट:
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस बात की तरफ इशारा किया कि इस मामले को लेकर कोर्ट मंगलवार को अपना फैसला सुना सकती है. इस बारे में न्यायालय की वेबसाइट पर सूचना भी दी गई है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि कोर्ट किसानों के मुद्दे पर अलग-अलग हिस्सों में आदेश पारित कर सकती है.
केंद्र को लिया था आड़े हाथ:
बेंच ने कल तीनों कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ ही किसानों के आन्दोलन के दौरान नागरिकों के निर्बाध रूप से आवागमन के अधिकार के मुद्दे उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी. कोर्ट ने किसानों के साथ बातचीत का अभी तक कोई हल नहीं निकलने पर केन्द्र को आड़े हाथ लिया था और सारी स्थिति पर घोर निराशा व्यक्त की थी.