रांची: झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और राजेश गुप्ता ने देश में चल रहे किसान आंदोलन और पेट्रोल-डीजल की कीमत में निरंतर हो रही बढ़ोत्तरी पर भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि किसानों की शहादत की संख्या और पेट्रोल-डीजल की कीमत को प्रति लीटर 100रुपये पहुंचने को लेकर जोरदार प्रतिस्पर्द्धा चल रही है, जिससे देश के आम नागरिक त्रस्त है, परंतु केंद्र सरकार किसानों की मांग मानने या पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत पर अंकुश लगाने की बजाये इस प्रतियोगिता का मजा लेने में जुटी है.
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने कहा कि पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी से निजी की बात तो दूर रही, सार्वजनिक परिवहन के लिए भी खर्च का वहन करना अब निम्न मध्यमर्गीय परिवार के वश की बात नहीं रही और आम जनजीवन के लिए आवश्यक परिवहन की व्यवस्था भी महामारी का रूप धारण कर रही है.
दूसरी तरफ कृषि कानून को वापस लेने की मांग को लेकर देशभर के किसान जिस तरह से लगातार पिछले 55दिनों से आंदोलनरत है, 60 से अधिक किसानों की शहादत हो चुकी है, उसके बावजूद केंद्र सरकार के अड़ियल रवैये से अन्नदाता किसान मायूस है और समस्या का समाधान होता नजर नहीं आ रहा है.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि वर्ष 2014 में सत्ता संभालते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा सरकार ने इस बात का खुलासा आभास करा दिया कि वह पूंजीपतियों को नमन और किसानों का दमन करने वाली है. इसकी शुरुआत किसानों को मिलने वाले बोनस की समाप्ति का फरमान कर किया, फिर पूंजीपतियों के लिए किसानों की भूमि पर कब्जे का षड्यंत्र किया. जबकि भाजपा नेताओं का लागत प्लस 50 प्रतिशत का वादा भी सिर्फ जुमला निकला. उन्होंने कहा कि समर्थन मूल्य पर भी केंद्र सरकार लगातार झूठ बोल रही है. कांग्रेस शासनकाल में फसलों का समर्थन मूल्य 219 प्रतिशत तक बढ़ाया गया, जबकि मोदी सरकार में धान और गेंहू का समर्थन मूल्य मात्र 41 और 42 प्रतिशत तक बढ़ा.
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि पीएम फसल बीमा योजना भी सिर्फ पूंजीपति मुनाफा योजना बन कर रह गयी, जिससे किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ और फसल बीमा के नाम पर पूंजीपति मित्रों को मदद पहुंचाया गया, जिसके कारण झारखंड सरकार ने फसल बीमा योजना को रद्द कर सीधे किसानों को राहत पहुंचाने का निर्णय लिया है. जबकि किसान सम्मान निधि का भी चौंकाने वाला सच यह है कि देश के 14.65 करोड़ किसानों में से 6 करोड़ किसानों को पूरी तरह एक फूटी कौड़ी न देखकर इस योजना से वंचित रखा गया. वहीं छोटे और मंझोले किसानों पर सालाना 30 हजार करोड़ रुप्ये का अतिरिक्त बोझ डाल दिया गया. वहीं अब नये कानून से कालाबाजारियों और जमाखोरों की पौ बारह होने वाली है.