नई दिल्ली: वॉट्सऐप (WhatsApp) जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म के प्राइवेसी नियमों को लेकर बहस तेज है, ऐसे में पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों द्वारा मैसेंजिंग ऐप का अपने नापाक मसूंबों के लिए उपयोग करने की खबर आ रही है. इन मैसेजिंग ऐप में एक तुर्की की कंपनी द्वारा बनाया गया है. यह खुलासा सेना द्वारा मुठभेड़ के बाद पकड़े गए आतंकवादी से पूछताछ के दौरान हुआ है. सेना द्वारा मैसेजिंग ऐप के नाम सुरक्षा कारणों के चलते नहीं बताए गए हैं.
सेना के अधिकारियों के मुताबिक आतंकवादी संगठनों द्वारा तीन ऐप उपयोग किए जाने की जानकारी मिली है. एक ऐप अमेरिका की एक कंपनी ने बनाया दूसरा यूरोप की कंपनी ने हाल ही में तीसरा ऐप तुर्की की कंपनी द्वारा विकसित किया गया है. इन ऐप का अक्सर आतंकवादियों द्वारा कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों को संचालित करने के लिए किया जाता है. नया ऐप बेहद स्लो इंटरनेट कनेक्शन में भी काम करता है. यह ऐप 2जी नेटवर्क को ध्यान में रख कर बनाया गया है.
जम्मू कश्मीर का स्पेशल दर्जा खत्म करने के बाद सरकार ने जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट को सेवा कुछ दिनों के लिए बंद कर दी थी. इसके बाद 2 जी इंटरनेट सेवाएं बहाल की गई थीं. इस दौरान आतंकवादी समूहों ने व्हाट्सएप और फेसबुक मैसेंजर का उपयोग करना बंद कर दिया था.
एक सुरक्षा अधिकारी ने बाता कि बाद में पता चला कि आतंकवादी ग्रुप फ्री ऐप्स पर स्विच कर गए. ये ऐप Encryption Algorithm RSA-2048 का उपयोग करते हैं जो कि सबसे सुरक्षित Encryption प्लेटफॉर्म है. RSA एक अमेरिकन नेटवर्क सिक्योरिटी एंड ऑथेंटिकेशन कंपनी है जिसकी स्थापना 1982 में हुई.
अधिकारियों के मुताबिक घाटी में युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए आतंकवादियों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले नए मैसेजिंग ऐप में से कोई भी फोन नंबर या ईमेल नहीं मांगता. उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर में इस तरह के ऐप पर रोक लगाने का प्रयास किया जा रहा है.