नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के चौरी चौरा कांड के सौ पूरे होने पर पूरे देश आज से शताब्दी समारोह मनाने जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आज इस शताब्दी समारोह की शुरूआत करेंगे. चौरी-चौरा शहीदों के सम्मान में यह अब तक का सबसे बड़ा कार्यक्रम होगा. इस दौरान शहीदों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिजनों को सम्मानित भी किया जाएगा. इस मौके पर प्रधानमंत्री एक विशेष डाक टिकट भी जारी करेंगे. यह समारोह साल भर चलेगा. इस मौके पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल उपस्थित रहेंगे.
आपको बता दें कि सरकार ने चौरी चौरा कांड के शहीदों के स्मारक स्थल और संग्राहलय का पुनरूद्धार किया है. वहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं. जिला प्रशासन वीडियो अपलोड के माध्यम से वन्दे मातरम गीत की पहली पंक्ति को एक साथ गाकर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाने के लिये पूरी तरह से तैयार है. यहां के अपर जिला अधिकारी वित्त राजेश कुमार सिंह ने का कहना है कि ‘हम बुधवार को दोपहर तक 50 हजार वीडियो अपलोड कर चुके हैं और उम्मीद है कि यह आंकड़ा एक लाख को पार कर जाएगा जिसमें राष्ट्र गीत वन्दे मातरम की पहली पंक्ति है. हमें उम्मीद है कि हमें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में स्थान मिलेगा. यह वीडियो गुरुवार को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा.’
गौरतलब है कि चौरी-चौरा का इतिहास 99 साल पुराना है. 4 फरवरी 1922 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले के चौरी-चौरा में कुछ सत्याग्रही आंदोलन कर रहे थे, इस दौरान अंग्रेज सिपाही ने एक आंदोलनकारी की गांधी टोपी को पांवों तले रौंद दिया था. इसके बाद सत्याग्रही आक्रोशित हो गए और पुलिसवालों को दौड़ा दिया. पुलिसवाले भागकर थाने में छिप गए, लेकिन सत्याग्रहियों ने थाने को घेर लिया. पुलिस ने बचाव में फायरिंग शुरू कर दी, जिसमें 3 सत्याग्रही मौके पर शहीद हो गए और 50 से ज्यादा घायल गए. गुस्साए क्रांतिकारियों ने पुलिस चौकी में आग लगा दी, जिसमें थानेदार समेत 23 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई.
घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया था. चौरी-चौरा काण्ड में 172 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी. बतौर वकील पंडित मदन मोहन मालवीय की पैरवी से इनमें से 151 लोग फांसी की सजा से बच गये. बाकी 19 लोगों को 2 से 11 जुलाई 1923 के दौरान फांसी दे दी गई. इस घटना में 14 लोगों को उम्र कैद और 10 लोगों को 8 साल सश्रम कारावास की सजा हुई. जिन लोगों को फांसी दी गई, उनकी याद में एक स्मारक बनाया गया.