रांची/साहिबगंज: साहिबगंज जिले में पहाड़, झरना, नदी, नाला, जंगल, झाड़ी सबकुछ बिक रहा है बस खरीदार चाहिए. कीमत फिक्स नहीं. मोल-तोल एवं उधार भी चलेगा. जी हां, शहर के आसपास कुछ भूमि माफिया सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री में जुटे हुए हैं. डेढ़ से दो लाख रुपये प्रति की की दर से यहां जमीन बिक रही है.
धोबीझरना व जिलेबिया घाटी के आसपास दो साल में सौ एकड़ से अधिक जमीन की खरीद-बिक्री हुई है. इन दोनों ही जगह पर पहाड़ को धीरे-धीरे काटा जा रहा है. पहाड़ों की तलहटी में धड़ल्ले से पक्के मकान बनाए जा रहे हैं. कलेक्ट्रेट से मुश्किल से एक किलोमीटर की दूरी पर यह सब हो रहा है लेकिन किसी की नजर हाल तक उधर नहीं गई थी.
कुछ दिन पूर्व उपायुक्त रामनिवास यादव झरना के सुंदरीकरण के लिए साइट देखने धोबीझरना की ओर गए थे. इस दौरान पहाड़ की तलहटी में हो रहे निर्माण कार्यों को देखा. सौ से अधिक घर वहां बनाए गए हैैं. निर्माण कार्य लगातार जारी है. मंगलवार को धोबीझरना के पास की जमीन की मापी की गई. कांदी मौजा में निर्माण कराने के कारण लदौनी ग्राम निवासी बुधवा पहाडिय़ा, उमेश यादव, अनंत कुमार ओझा व टूटा पहाड़िया को नोटिस भेजा गया है. अन्य लोगों को भी नोटिस भेजने की प्रक्रिया चल रही थी.
मोतीझरना के पास मंडरो अंचल की जमीन की मापी कराई गई है. चार लोगों को नोटिस भेजा गया है. पहाड़ की तलहटी में आवास का निर्माण करानेवाले सभी लोगों को नोटिस भेजकर अपना अपना पक्ष रखने को कहा जाएगा. कानून के अनुसार पहाडिय़ा की भूमि को कोई व्यक्ति खरीद नहीं सकता है. प्रशासन इस मामले में सख्त है. संबंधित लोगों पर कार्रवाई होगी.
संताल परगना काश्तकारी अधिनियम की धारा 20 के तहत दामिन ई कोह जमीन की खरीद-बिक्री पूर्णत: अवैध है. प्रशासनिक उदासीनता की वजह से यहां कानून का खुलल्म-खुल्ला उल्लंघन किया जा रहा है. अगर इसपर रोक नहीं लगाई गई तो स्थिति भयावह हो जाएगी. सरकार कानून का अक्षरश: पालन कराए या इसमें बदलाव करे. आज पहाडिय़ा व पहाड़ों का अस्तित्व खतरे में है.