आपसी सहयोग व चंदा इकट्ठा कर जेसीबी व ट्रैक्टर से भरवा रहे मैदान में मिट्टी-मोरम
चतरा: जहां एक ओर केंद्र और राज्य सरकारें खेल को बढ़ावा देते हुए खिलाड़ियों को विशेष रूप से प्रशिक्षित कर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रही है. वहीं दूसरी ओर वर्षों से एक अदद खेल मैदान को तरस रहे चतरा जिला के प्रतिभावान खिलाड़ी तंत्र की बेरुखी का दंश झेलने को विवश हैं. सरकार और उसके रहनुमाओं के कार्यालयों का चक्कर काट थक चुके खिलाड़ियों ने व्यवस्था के विरुद्ध ही मोर्चा खोलते हुए खुद श्रमदान कर अपने लिये खेल मैदान बनाने का बीड़ा उठाया है.
चतरा जिले के अति नक्सल प्रभावित कुंदा प्रखंड के युवा खिलाड़ी व्यवस्था से नाराज होकर अपने श्रमदान से गड्ढों में तब्दील हो चुके यहां के चर्चित शहीद जेडी अमर खेल मैदान को आपसी चंदा इकट्ठा कर गड्ढों में तब्दील हो चुके मैदान को जीवंत करने में जुट गए हैं. ये आपसी चंदे के पैसे से जहां मैदान के गड्ढों को जेसीबी व ट्रैक्टर के माध्यम से भरवाने में लगे हैं वहीं खुद के श्रमदान से उसे खेलने लायक मैदान का मूर्त रूप दे रहे हैं. खुद हाथ में कुदाल व फावड़ा उठाकर कार्य करने में जुटे ये खिलाड़ी अपनी मेहनत से व्यवस्था के दावों की न सिर्फ पोल खोल रहे हैं, बल्कि सरकारी रहनुमाओं व जनप्रतिनिधियों को खुली चुनौती भी पेश कर रहे हैं.
खिलाड़ियों का आरोप है कि वह सांसद, विधायक से लेकर उपायुक्त के अलावा सभी जिम्मेवार अधिकारियों के कार्यालयों का चक्कर काट चुके हैं. लेकिन न तो किसी ने खेल को बढ़ावा देने के प्रति तनिक भी दिलचस्पी दिखाई और ना ही कोई उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेने को तैयार हैं. ऐसे में उनकी प्रतिभा जाया न हो इसे लेकर खुद श्रमदान कर मैदान बनाने का निर्णय खिलाड़ियों ने लिया है.
खेल प्रेमी सौरभ कुमार कहते हैं कि सरकार और जनप्रतिनिधियों की लापरवाही के कारण न तो खिलाड़ियों का मानसिक विकास हो रहा है और ना ही शारीरिक. प्रतिभा तो खिलाड़ियों के अंदर ही सुविधा के अभाव में दम तोड़ रही है.
सबसे मजे की बात तो यह है कि सीआरपीएफ ने इस मैदान के चाहरदीवारी पर मेंटेनेंस का बोर्ड जरूर लगा रखा है. लेकिन अब उसके अधिकारी कुछ भी कहने से भाग रहे हैं.
हालांकि खिलाड़ियों के श्रमदान कर मैदान तैयार करने की खबर के बाद जिला खेल पदाधिकारी प्राण महतो उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन जरूर दे रहे हैं.
बहरहाल खेल प्रेमियों के इस खासा उत्साह ने जहां सरकार की इस उदासीन रवैये की वजह से मजबूरन इन्हें श्रमदान कर अपनी जमीन तैयार करनी पड़ रही है. वहीं इसमें कोई शक नहीं कि आने वाले कल को ये खेलों की दुनिया में भी अपना झंडा अवश्य बुलंद करेंगे.