देहरादून: उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर फटने के बाद आई भयानक बाढ़ से हुई तबाही के बाद वहां भारतीय सेना, आईटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमों द्वारा राहत और बचाव का कार्य दिन रात जारी है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में मारे गए 32 लोगों के शव अभी तक बरामद किये जा चुके हैं जबकि 197 लोग अभी भी लापता हैं.
इस हादसे ने एक ओर जहां कई इंसानों और जानवरों की जिंदगी लील ली वहीं दूसरी ओर इस हादसे के कारण कई निर्माणाधीन प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है. हादसे में एनटीपीसी का 480 मेगावॉट का तपोवन-विष्णुगढ़ प्रोजेक्ट और 13.2 मेगावॉट के ऋषिगंगा हाइडिल प्रोजेक्ट को भारी नुकसान हुआ है. इसके अलावा यह बाढ़ कई घरों को भी बहा ले गई. खबर के मुताबिक भारतीय सेना, आटीबीपी, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के 600 जवान घटना स्थल पर राहत और बचाव कार्य एवं लापता लोगों की खोज में लगाए गए हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पीड़ित लोगों की मदद में दिन रात लगे हुए और संपर्क टूटे गांव में राशन, दवाई और खाद्द सामग्री और अन्य जरूरी सामान उपलब्ध करा रहे आईटीबीपी के जवानों का धन्यवाद किया है.
आपको बता दें कि इस भयानक बाढ़ की वजह से कई पुल धराशाई हो गए थे जिसके कारण रैनी पल्ली, पांग, लता, सुरिथोता, सूकी, भालगांव, तोलमा, फगरसु, लॉन्ग सेगडी, गहर, भानग्युल, जुवाग्वाड और जुग्जू आदि गांवों से संपर्क टूट गया था.
आटीबीपी के जवान जुग्जू और जुवागार जैसे गांवों में 5-6 किलोमीटर पैदल चलकर लोगों को मदद पहुंचा रहे हैं. वहीं तपोवन टनल में फंसे मजदूरों को भी निकालने का कार्य निरंतर जारी है. ताजा जानकारी के अनुसार इस टनल में 25-35 लोगों के फंसे होने की आशंका है. एक बुरी खबर ये है कि टनल में पानी लगातार बढ़ रहा है. एक अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए बताया कि टनल में फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए विशेष तरह के संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है.
अधिकारी टनल में किसी के जिंदा होने की उम्मीद भले ही लगा रहे हों लेकिन अभी टनल में फंसे किसी भी मजदूर से उनका संपर्क नहीं हो सका है. वहीं, मंगलवार को राज्यसभा में इस बाबत जानकारी देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “हम यह नहीं बता सकते कि टनल से मलबे को हटाने में कितना समय लगेगा क्योंकि टनल में 90 डिग्री का घुमाव है और हमने प्रोजेक्ट इंजीनियरों से फंसे लोगों तक पहुंचने के लिए कोई दूसरा रास्ता बनाने को कहा है.” वहीं ग्लेशियर के फटने के कारणों के अध्ययन में यह बात सामने आई है कि उत्तराखंड में झूलते ग्लेशियर के ढह जाने से उत्तराखंड में आकस्मिक बाढ़ आई.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने बोला हमला
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि जब वह पर्यावरण मंत्री थे तो उत्तराखंड में पनबिजली परियोजनाओं को रोका गया था और इसके लिए उनपर काफी हमले भी हुए थे. हम इन परियोजनाओं के प्रभावों के बारे में विचार नहीं कर पा रहे थे. आपको बता दें कि उन्होंने इस हादसे के पीछे वैज्ञानिक तथ्यों को आधार बनाते हुए केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर हमला बोला.