नई दिल्ली : हिंदी साहित्य और कविता से नाता,वो भी किसी पुलिस अधिकारी का यह सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लगता है पर कभी-कभी जो आम तौर पर नहीं होता, वह खासतौर पर हो जाता है. दिल्ली में तैनात एक विशेष पुलिस आयुक्त के साथ कुछ ऐसा ही है. उन्होंने हिंदी में ‘संविधान-काव्य’ की रचना की है. जो काबिलेतारीफ़ है .इतना ही नहीं इस विशेष पुस्तक लेखन के लिए पुडुचेरी के पूर्व पुलिस महानिदेशक को दिल्ली में आयोजित एक समारोह में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सम्मानित भी किया है. ‘संविधान-काव्य’ की रचना करने वाले भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ अधिकारी हैं सुनील कुमार गौतम. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गौतम को उनके इस अनोखे कार्य के लिए पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के दिल्ली में 28 अगस्त को आयोजित 49वें स्थापना दिवस पर सम्मानित किया.
दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त एस.के. गौतम देश के शायद पहले आईपीएस अधिकारी होंगे, जिन्होंने भारतीय संविधान की चुनिंदा और महत्वपूर्ण बातों को हिंदी ‘काव्य’ के रूप में लिखी है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए काम आ सकती है.
आईपीएस अधिकारी एस.के. गौतम ने आईएएनएस से कहा, “बात 2016 की है. उन दिनों मैं पुडुचेरी का पुलिस महानिदेशक था. संविधान की कई महत्वपूर्ण बातों को हिंदी में एक जगह आम बोलचाल की भाषा में आम-आदमी के वास्ते लिखने का मन हुआ. मन में था कि आखिर उस संविधान सभा का शुक्रिया कैसे अदा किया जाए? उस संविधान सभा का, जिसने हमें भारतीय संविधान-सी बेशकीमती धरोहर सौंपी, अपना बहुमूल्य समय और ऊर्जा खर्च करके. मन में आए इस विचार को पत्नी से साझा किया. बस उसके बाद कुछ सोचने की जरूरत ही नहीं पड़ी. लिखना शुरू कर दिया. 238 पदों से सजा-संवरा वही संविधान-काव्य आज सबके सामने है. ”
उन्होंने आगे कहा, “जैसे भारतीय संविधान हर भारतीय के लिए है. उसी तरह संविधान-काव्य भी बेहद सरल और आम-भाषा में हर हिंदुस्तानी के वास्ते ही काव्य रूप में संजोया गया है. इसमें कुछ भी नया नहीं है. अगर कुछ नया है तो वह है इसका काव्यात्मक रूप. ”
सुनील कुमार गौतम द्वारा लिखे गए इस अभूतपूर्व 82 पृष्ठों के ‘संविधान-काव्य’ की विशेषता यह है कि इसमें समाहित भारतीय संविधान के हर अनुच्छेद को छोटी-छोटी दो काव्य पंक्तियों में पिरो कर प्रस्तुत किया गया है. इस संविधान-काव्य में अनुच्छेद ‘394-क’ तक को समाहित किया गया है.