नई दिल्लीः वर्ल्ड कप का नजारा तो हर खेल प्रेमी ने देखा ही होगा, लेकिन उत्तराखंड में क्रिकेट प्रेमियों ने अपना एक खास रिवाज बरकरार रखा है. यहां क्रिकेट टूर्नामेंट तो होता है, लेकिन दांव पर कप या रकम नहीं होती. यहां जीतने वाले के हिस्से में एक बकरा और सम्मान आता है. हालांकि, समय के साथ इस स्थानीय ‘वर्ल्ड कप’ को भी बुरे दौर का सामना करना पड़ा था. अब स्थिति बदल रही है. क्षेत्र में फिर इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. इस टूर्नामेंट को स्थानीय लोग खस्सी कप कहते हैं. करीब एक पखवाड़े तक चलने वाला यह इतना साधारण क्रिकेट टूर्नामेंट है, जहां आपको गली क्रिकेट का एहसास होगा. एक छक्का मारने पर कई बार गेंद भी खो जाती है. इसके बाद खिलाड़ियों के साथ दर्शक भी इसे खोजने में लग जाते हैं. इस खेल में जीतने वाले को खस्सी बकरी और सम्मान मिलता है. एक ऐसा दौर भी आया जब गांव के युवा बाहर निकलने लगे थे और यहां खिलाड़ियों और दर्शकों की कमी हो गई थी. ऐसे में पांच साल पहले खाटीगांव प्रीमियर लीग कहा जाने वाला टूर्नामेंट खस्सी कप में तब्दील हो गया. यह उपाय काम भी आया. जल्द ही गांव को लोगों ने टर्नामेंट के लिए रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया. खास बात है कि इस खेल में शामिल होने के लिए एक टीम को 2200 रुपए की एंट्री फीस देनी होती है. टूर्नामेंट के आयोजक अनुराग पुनेठा बताते हैं ‘बकरी लोगों को प्रोत्साहित करती है.’टीम की तरफ से मिली फीस का इस्तेमाल बकरी खरीदने और मैच आयोजित करने के लिए किया जाता है, जिसकी कीमत 8 हजार रुपए होती है. कई बार स्थानीय नेता और सरकारी अधिकारी टीमों को स्पॉन्सर कर देते हैं. इस खेल के नियम भी बड़े दिलचस्प हैं. एक ओवर में पांच छक्के मारने वाले को 1 हजार रुपए, पांच चौके मारने वाले को 500 और हैट्रिक लेने वाले को 200 रुपए का इनाम मिलता है. कापरी ने बताया कि इस बार खस्सी कप 21 नवंबर को आयोजित होगा.