नई दिल्लीः कोरोना वैक्सीन का इलाज बातकर लॉन्च की गई बाबा रामदेव (Baba Ramdev) की देशी दवा कोरोनिल एक बार फिर से विवादों में फंस गई है। दूसरी बार लॉन्च के समय बाबा रामदेव ने दावा किया था कि उनकी दवा को इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सर्टिफाइड किया है मगर इसके बाद डब्लूएचओ की तरफ से इसका खण्डन आ गया। इसके बाद देश के डॉक्टरों की सबसे बड़ी संस्था इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केद्रीय स्वास्थय मंत्री से इस पर सफाई मांगी है।
बता दें इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से सीधे पूछा है कि किस आधार पर आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को सर्टिफिकेट दिया है। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री से इस पर सफाई मांगी है। बता दें इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सफाई दी थी कि उसने किसी भी देशी दवाई को कोरोना मेडिसिन की मंजूरी नहीं दी है। इसके बाद इस दवा पर विवाद हो रहे हैं। लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं। बता दें आईएमए ने देश के स्वास्थ्य मंत्री से पूछा है कि वह कोरोनिल के वह देश के बताए कि वह दवाई के रिलीज के समय वहां पर क्यों मौजूद है।
बता दें 19 फरवरी को एक बार फिर से बाबा रामदेव ने अपनी कोरोना की दवा को रिलॉन्च किया था। इस लॉन्च के दौरान बाबा रामदेव के साथ देश के केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी मौजूद रहे थे। इस लॉन्च के दौरान बाबा रामदेव ने कई बड़े-बड़े दावे किए थे। उन्होंने दावा किया था उनकी दवा को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी सर्टिफाइड किया है। जिस पर अब आईएमए ने सवाल खड़े कर दिए हैं। आईएमए ने पूछा है कि सरकार किस आधार पर इन्हें सर्टिफाइड कर रही है।
किसी भी दवा को बाजार में लाने से पहले उस दवा को बनाने वाले व्यक्ति, संस्था आदि को भारत में कई चरणों से गुजरना पड़ता है। इसे ड्रग अप्रूवल कहा जाता है। अप्रूवल में क्लिनिकल ट्रायल के लिए आवेदन करना, क्लिनिकल ट्रायल कराना, मार्केटिंग ऑथराइजेशन के लिए आवेदन करना और पोस्ट मार्केटिंग स्ट्रेटजी जैसे कई प्रोसेस पूरे करने होते हैं।यहां बता दें कि आयुर्वेदिक दवाओं और एलोपैथी दवाओं के अप्रूवल प्रोसेस में थोड़ा ही अंतर है। आयुर्वेदिक दवाओं में किसी रेफरेंस यानी किसी के आधार पर दवा बनाई जा रही है ये बता कर आसानी से अप्रूवल लिया जा सकता है जबकि अगर उसमें भी एलोपैथी की तरह लैब, फोर्मुलास की जरूरत होती है तो इसे स्टेप बाय स्टेप पूरा करना होता है।