नई दिल्लीः कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान राज्य व केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के बाद चर्चा में आए तबलीगी जमात के 49 नागरिकों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुशील कुमारी ने बुधवार को तबलीगी जमात के 49 विदेशी नागरिकों को जेल में बिताई गई अवधि के कारावास और 1500 रुपये के जुर्माने से दंडित किया है.
अदालत के समक्ष अभियुक्तों की ओर से कहा गया कि कोरोना वायरस महामारी एक असामान्य परिस्थिति थी. वे सभी विदेशी हैं. दूरिस्ट वीजा पर भारत आए थे. उनके सभी कागजात वैध हैं. उनके द्वारा जानबूझकर कोई कृत्य नहीं किया गया है. वो अपने देश वापस जाना चाहते हैं इसलिए उन्हें कम से कम दंड से दंडित किया जाए.
बता दें कि अदालत ने सीओ को चार्जशीट के लिए उसके द्वारा निर्देशित संशोधन को सही ठहराने” के लिए भी कहा. 15 वर्षीय आवेदक के वकील जावेद हबीब के अनुसार, पुलिस ने अपने मूल आरोप पत्र में उनके मुवक्किल पर आईपीसी की धारा 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण फैलने की लापरवाही से काम करना) और 270 (घातक कार्य) फैलने की आशंका जताई थी. जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण. सीओ द्वारा पारित आदेशों पर प्रारंभिक चार्जशीट को वापस बुला लिया गया और आईपीसी की धारा 307 के तहत एक नई चार्जशीट पेश की गई.
2 दिसंबर को पारित एक आदेश में, उच्च न्यायालय ने भी आवेदक के खिलाफ अगले आदेश तक आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी. कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को करेगा.
सुनवाई के दौरान, हबीब ने अदालत को बताया कि अभियोजन पक्ष के अनुसार, आवेदक ने नई दिल्ली में तब्लीगी जमात द्वारा आयोजित एक धार्मिक मण्डली का दौरा किया था, और पुलिस द्वारा बुक की गई वह और अन्य अलग-अलग तारीखों में घर लौट आए थे.
अभियोजन पक्ष द्वारा आरोप लगाया गया है कि आवेदक और अन्य अभियुक्तों ने स्थानीय प्रशासन को उनके आगमन के बारे में सूचित नहीं किया था और स्वैच्छिक संगरोध के तहत नहीं गए थे, और एक मुखबिर से सूचना प्राप्त करने के बाद उन्हें अलग-अलग तारीखों पर छोड़ दिया गया था.
हबीब ने दावा किया कि भले ही जांच के दौरान एकत्र किए गए सबूतों के साथ-साथ प्राथमिकी उनके अंकित मूल्य पर ली गई हो, आवेदकों के खिलाफ कोई अपराध नहीं बताया गया है. हाईकोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए 10 दिन का समय दिया है.