सत्तापक्ष के सदस्यों ने जोरशोर से जनमुद्दों को उठाने का लिया निर्णय
रांची. झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में हेमंत सोरेन सरकार को विपक्ष के साथ ही सत्तापक्ष के भी तीखे सवालों का सामना करना पड़ेगा. सत्तापक्ष के सदस्यों ने भी जोर-शोर से जनमुद्दों को सदन में उठाने का निर्णय लिया है और सरकार की ओर से भरोसा दिलाया गया है कि सभी सदस्यों के सवालों का पूरी संवेदनशीलता के साथ जवाब दिया जाएगा.
सत्तारूढ यूपीए में शामिल प्रमुख घटक दल जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी विधायकों की गुरुवर देर शाम तक मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में बजट सत्र को लेकर अपनायी जाने वाली रणनीति पर चर्चा हुई. इस दौरान जमीन विवाद और भूमि अधिग्रहण से संबंधित मामले उठे, वहीं लंबे समय से विभाग में जमे अधिकारियों को हटाने की भी मांग विधायकों ने उठायी. सत्तापक्ष के विधायकों ने हाल के दिनों में जमीन विवाद के मामले बढ़ने पर चिंता जतायी. इसके अलावा किसानों को मदद, ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक से अधिक रोजगार सृजन, बालू की किल्लत, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का सख्ती से पालन समेत कई बिन्दुओं पर यूपीए विधायकों ने अपनी बात राज्य सरकार के समक्ष रखी. बताया गया है कि बैठक में जमीन विवाद को सुलझाने के लिए नये सिरे से जमीन का सर्वे भी कराने का सुझाव दिया गया.
सत्तापक्ष के ही कुछ विधायकों ने अधिकारियों की मनमानी और ग्रामीणों को रही परेशानियों का भी सवाल उठाया. इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों की ज्वलंत मुद्दों को भी विधानसभा सत्र में विभिन्न प्रश्नों के माध्यम से रखने की सलाह दी गयी है. साथ ही मंत्रियों और विपक्षी सदस्यों के विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं को भी सदन में रखने की जिम्मेवारी आसपास से निर्वाचित यूपीए विधायकों को सौंपी गयी है. सरकार का मानना है कि मंत्री रहने के कारण वे अपने क्षेत्र की समस्या को सदन में नहीं उठा सकते है, लेकिन कई सवालों का सदन में आना जरूरी है, इसे लेकर भी सत्तापक्ष के विधायकों की ओर से विशेष रणनीति बनायी गयी है. इसके अलावा बजट सत्र में कई धन विधेयकों को पारित कराया जाना है, ऐसे में सत्तापक्ष के सदस्यों की सदन में उपस्थिति जरूरी है, इसे लेकर भी संबंधित दलों के सचेतकों को जिम्मेवारी सौंपी गयी है.