रांची:- ग्रामीण विकास विभाग सचिव श्रीमती आराधना पटनायक* ने कहा की झारखंड हाई इंपैक्ट मेगा वाटर शेड प्रोजेक्ट झारखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना है. इस परियोजना में शामिल तमाम डीडीसी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी मेहनत कर रहे हैं. श्रीमती आराधना पटनायक शुक्रवार को प्रोजेक्ट भवन सभागार में वाटरशेड प्रोजेक्ट (जीवी दा हासा) के विभिन्न जिलों के नोडल पदाधिकारियों की कार्यशाला में बोल रहे थीं.
उन्होंने कहा कि राज्य में मनरेगा के अंतर्गत विशेष रुप से प्रशासनिक शक्तियों के विकेंद्रीकरण के बाद क्रियान्वयन में प्रयाप्त सुधार हुआ है. वहीं सीएफटी परियोजना के सफल क्रियान्वयन के बाद मनरेगा योजनाओं के नियोजन के प्रक्रिया में श्रमिकों की सहभागिता और उनकी आजीविका सुदृढ़ किए जाने में सहायता मिली है
राज्य मंत्रिमंडल से स्वीकृति के बाद ग्रामीण विकास विभाग और BRLF के बीच हुए एमओयू के बाद आपसी सहयोग से राज्य के कुल 7 जिलों जिनमें गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, पाकुड़ , साहिबगंज , गोड्डा , दुमका और गिरिडीह शामिल . जिनके कुल 24 प्रखंडों में मनरेगा योजना से हाई इंपैक्ट मेगा वाटर शेड प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया जाना है.
परियोजना का मुख्य उद्देश्य
बीआरएलएफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी कुलदीप सिंह ने कहा कि इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्राम पंचायतों को मजबूत करने, योजनाओं के नियोजन और कार्यान्वयन का निर्वहन करना और निगरानी करना है. इतना ही नहीं ग्राम पंचायतों को प्रभावी सहयोग प्रदान करने वाली 12 सिविल सोसाइटी संगठनों का एमओयू में निर्धारित मापदंडों और पारदर्शी चयन प्रक्रिया द्वारा संयुक्त रूप से चयन किया गया है. प्रत्येक संगठन दो चयनित प्रखंडों में काम करेंगे जिसमें पहला इंटेंसिव प्रखंड और दूसरा नन इंटेंसिव प्रखंड होगा.
उक्त प्रखंडों का चयन निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप किया गया है इतना ही नहीं यह परियोजना 4 वर्षों के लिए क्रियान्वित की जाएगी. जिसका संचालन राष्ट्रीय स्तर के संगठन WASSAN के विशेषज्ञ द्वारा किया जाएगा.
परियोजना के मुख्य बिंदु एवं लक्ष्य इस प्रकार हैं.
■इस परियोजना का लक्ष्य 24 प्रखंडों के कुल 696 वाटर शेड का विकास करना है.
■जिससे 3 लाख 39 हजार हेक्टेयर भूमि का उपचार हो सके.
■कम से कम 1 लाख किसानों की आय दोगुनी करना.
■1.5 लाख हेक्टेयर भूमि में बेहतर कृषि कार्य करना.
■मृदा एवं जल प्रबंधन द्वारा भूमि की नमी में बढ़ोतरी करना.
■वर्षा पर निर्भरता कम करना. बहु फसल कृषि को अधिक से अधिक बढ़ावा देना , मनरेगा की राशि का बेहतर उपयोग कर तकनीक रूप से बेहतर संरचनाओं का निर्माण करना.
परियोजना की सफलता एवं इसे प्रभावी बनाने के लिए प्रशासनिक नेतृत्व के साथ लगातार जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन भी करना हैं. इतना ही नहीं मनरेगा कर्मी पंचायत प्रतिनिधियों के बीच समन्वय स्थापित हो सके इसकी भी कोशिश इस परियोजना से जुड़े डीडीसी एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी को लगातार करनी हैं. इस परियोजना को सफल बनाने के लिए अन्य विभाग को जैसे कृषि पशुपालन सहकारिता विभाग, झारखंड राज्य जल छाजन मिशन और जिला प्रशासन के साथ समन्वय स्थापित करना हैं. चूंकि यह परियोजना 4 वर्षों में पूर्ण की जानी है.
इस समझौते के तहत प्रदेश के 24 सबसे जरूरतमंद प्रखंडों में मनरेगा योजना से वाटरशेड सिद्धांतों पर कार्य किया जायेगा. राज्य के एक लाख सीमांत किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया है.
जून 2020 में इस साझेदारी को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में मंजूरी प्रदान की गई थी.
आर्थिक प्रगति की ओर अग्रसर हों ग्रामीण — ग्रामीण विकास विभाग, सचिव श्रीमती आराधना पटनायक
ग्रामीण विकास विभाग, सचिव श्रीमती आराधना पटनायक द्वारा कार्यशाला में बताया गया कि हम सभी का लक्ष्य होना चाहिए कि हम बहुमुखी प्रगति के पथ पर अग्रसर हो सकें. उन्होंने कहा कि सतत विकास के उद्देश्यों को पूर्ण करने की दिशा में आगे बढ़ने की आवश्यकता है.
हमें इसका सफल क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है.
हम अपने गाँव और अपने श्रम से आत्मनिर्भर जीवन की ओर कदम बढ़ाएंगे. उन्होंने कहा कि झारखंड राज्य के ग्रामीणों का यह उत्साह देखकर प्रतीत होता है कि विकास की गति अब नहीं रुकेगी. साथ ही झारखंड हाई इंपैक्ट मेगा वाटरशेड प्रोजेक्ट पूरे राज्य के लिए सही उदाहरण बन कर उभरेंगे . साथ ही इस दिशा में आगे बढ़ने के लिए ग्रामीणों का आत्मबल भी बढ़ाएगा. उन्होंने ग्रामीणों को खेती के साथ-साथ पशुपालन व मत्स्य पालन की दिशा में भी प्रेरित किया.
उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं के प्रति ग्रामीणों का उत्साह और आत्मविश्वास से भरी परिवर्तन की ललक सराहनीय है.
साथ ही जल संरक्षण की विभिन्न संरचनाओं का निर्माण यथा टीसीबी, मेढ़ बंदी, सोखता गड्ढा आदि के तहत लगातार सक्रिय प्रयास जारी है.
1.81 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर दो फसल उपज की योजना: मनरेगा आयुक्त
मनरेगा आयुक्त श्री सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि झारखंड में 24 प्रखंडों का चयन इस योजना में राज्य सरकार द्वारा किया गया है . परियोजना का मुख्य उद्देश्य है कम से कम एक लाख छोटे और सीमांत कृषको की आय को अस्थाई रूप से दुगना करना. परियोजना के तहत 1.81 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि कम से कम 2 फसल लेने में सक्षम बनाने का लक्ष्य है. वाटरशेड पद्धति पर करीब 3.39 लाख भूमि पर उपचार कार्य किए जाएंगे जिनमें मृदा संरक्षण जल संचयन उदवहन सिंचाई बागवानी भूमि समतलीकरण जैसे कार्य किए जाएंगे.
आठ आदिवासी बहुल राज्यों में काम कर रही है संस्था: कुलदीप सिंह
बीआरएलएफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री कुलदीप सिंह ने कहा कि बीआरएलएफ ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा गठित एक स्वायत्त संस्था है जिसका मुख्य ध्येय है सरकार से साझेदारी में स्वयंसेवी संस्थाओं के कार्य विस्तार में सहयोग देना. बीआरएलएफ वर्तमान में मध्य भारत के आदिवासी बहुल 8 राज्यों में सक्रिय हैं. परियोजना को राज्य सरकार के साथ मिलकर मूर्त रूप दिया गया है और इसकी विशेषता यह है कि राज्य सरकार की बिरसा हरित ग्राम योजना और नीलांबर- पितांबर जल समृद्धि योजना से पूरी तरह मिल रखती है.
कार्यशाला में श्री सिद्धार्थ त्रिपाठी मनरेगा आयुक्त सीईओ जेएसएलपीएस श्री आदित्य रंजन, बीआरएलएफ के मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री कुलदीप सिंह, एवं राज्य के 7 जिलों जिसमें गुमला, पश्चिम सिंहभूम, पाकुड़, साहिबगंज ,गोड्डा ,दुमका और गिरिडीह जिलों के उप विकास आयुक्त ,प्रखंड विकास पदाधिकारी, रेश्मि कुमारी वरीय लेखा पदाधिकारी,रेश्मि सिंह वरीय अंकेक्षण पदाधिकारी एवं परियोजना पदाधिकारी व अन्य उपस्थित थे.