रांची:पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ज्वाइन कर लिया है. कोलकाता में टीएमसी कार्यालय में शनिवार को वरिष्ठ नेता ने टीएमसी की सदस्यता ग्रहण की. बीजेपी के दिग्गज नेता रहे और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में केंद्रीय मंत्री जिम्मेदारी संभाल चुके यशवंत सिन्हा ने 2018 में अचानक ही पार्टी छोड़ने का ऐलान कर दिया था. इसके बाद से लगातार वह मोदी सरकार की मुखालफत करते नजर आए.
करीब 24 साल तक भारतीय प्रशासनिक सेवा में अहम पदों पर जिम्मेदारी संभालने के बाद 1984 में यशवंत सिन्हा ने राजनीति में एंट्री की. उसके बाद से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.
पटना में हुआ जन्म, 1960 की प्.ै में शामिल हुए
यशवंत सिन्हा का जन्म 1937 में पटना में हुआ. 1958 में उन्होंने पटना विश्व विद्यालय से राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री ली. यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने 24 साल के कार्यकाल में कई पदों पर रहे. उन्होंने उप-विभागीय मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में चार साल तक सेवा की.
24 साल अलग-अलग पदों पर संभाली जिम्मेदारी
दो साल तक बिहार सरकार के वित्त विभाग में अवर सचिव और उप सचिव रहे, जिसके बाद उन्होंने वाणिज्य मंत्रालय में केंद्र सरकार के उप सचिव के रूप में काम किया. 1971 से 1973 तक वह जर्मनी में भारतीय दूतावास में सचिव (वाणिज्यिक) पद पर रहे. इसके बाद, उन्होंने 1973-1974 के दौरान फ्रैंकफर्ट में भारत के महावाणिज्य दूत के रूप में काम किया. इसके बाद भी यशवंत सिन्हा केंद्र सरकार के अलग-अलग विभागों में काम किया.
1984 में जनता पार्टी से शुरू की सियासी पारी
1984 में यशवंत सिन्हा ने भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दिया और राजनीति में एंट्री की. उन्होंने जनता पार्टी में शामिल होकर सियासी पारी को आगे बढ़ाया. 1986 में उन्हें पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव और साल 1988 में राज्यसभा सदस्य चुना गया. 1989 में जनता दल बनने पर उनको पार्टी का महासचिव बनाया गया. इसी बीच 1990-1991 के दौरान केंद्र में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए. बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया. इस दौरान उन्होंने कई पदों को संभाला.टल सरकार में वित्त मंत्री की संभाली जिम्मेदारी, विदेश मंत्री भी बनाए गए
1996 में यशवंत सिन्हा को भारतीय जनता पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया. वह हजारीबाग से सांसद रहे. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनने पर उनको वित्त मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई. बाद में 2004 के अंत तक विदेश मंत्री रहे. यशवंत सिन्हा को 2004 के लोकसभा चुनाव में हजारीबाग से हार का सामना करना पड़ा. 2005 में उनकी फिर से संसद में एंट्री हुई. इस बीच वह पार्टी के उपाध्यक्ष भी रहें. 2009 में बीजेपी उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था.