रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा सरना आदिवासियों को हिन्दू की जगह अलग धर्मावलंबी तथा प्रकृति पूजक बताये जाने पर भारतीय जनता पार्टी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि पहले उन्हें देश में रहने वाले आदिवासियों के बारे में अध्ययन करना चाहिए, उसके बाद अपनी बात रखनी चाहिए.
बाबूलाल मरांडी ने रविवार को रांची में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हेमंत सोरेन एक छोटी राजनीतिक पार्टी के नेता है और झारखंड जैसे छोटे से राज्य में रहते हैं, उन्हें देशभर में रहने वाली 600 से 700 अनुसूचित जनजाति समुदाय के बारे में पूरी जानकारी नहीं है. इन सभी आदिवासी समुदाय की अलग-अलग धार्मिक मान्यताएं है. एक आदमी इन सभी समुदायों की धार्मिक मान्यताओं को लेकर कैसे कोई भी दावा कर सकता है. उन्होंने उदाहरण के तौर पर बताया कि जम्मू-कश्मीर में गुजर-बकरख जैसे जनजातीय समाज के लोग मुस्लिम धर्म को स्वीकार करते है. हिमाचल प्रदेश के क्षत्रीय समाज की जातियां अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में शामिल है. इसी तरह से झारखंड में 32 आदिम जनजातियां रहती है, जबकि इन्हें कोई एक धर्म का बता दें, तो इस पर कुछ कहा नहीं जा सकता है. लेकिन यह भी सच्चाई है कि झारखंड में रहने वाले अधिकांश आदिवासी समाज के लोग खुद को हिन्दू मानते है.
बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि झारखंड में रहने वाली उरांव , मुंडा और संथाल जातियों में बड़ी आबादी ने ईसाई धर्म कबूल कर लिया है, इस पर भी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अपना विचार व्यक्त करना चाहिए, जब वे सभी आदिवासियों को हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य धर्मां से अलग धर्म का होने का दावा कर रहे हैं, तो फिर यह कैसे हो रहा है कि कुछ आदिवासी लोग ईसाई धर्म को स्वीकार कर रहे हैं.