रांचीः 7 साल पहले ट्रेन में बिछड़े 5 बच्चे मंगलवार काे अपने पिता से मिलेंगे. यह अजीब इत्तफाक है कि पांचाें बच्चे करीब 2550 दिन अपने घर गुमला से 120 किमी दूर खूंटी में चाइल्ड लाइन की देखरेख में पलते-बढ़ते रहे. अब 23 मार्च काे खूंटी के चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (सीडब्ल्यूसी) बच्चाें काे पिता से मिलाएगी. बिछड़े बच्चाें से मिलन की यह कहानी असम के चाय बगान से गुमला सैमरटोली कोंडरा ट्रेन से लौट रहे राेबी तिर्की व उनके 5 बच्चों जुलीन, जसिंता, प्रियंका, प्रकाश और भीम की है. माता-पिता ट्रेन से पानी लेने नीचे उतरे और इसी दौरान ट्रेन खुल गई. इस वजह से बच्चे माता-पिता से बिछड़ गए.
सीडब्ल्यूसी की सदस्य सुषमा देवी ने बताया कि रोबी तिर्की अपने बच्चे काे वर्षाें से खोज रहे थे. वे शनिवार काे हम लाेगाें तक पहुंचे. हमने खूंटी चाइल्ड लाइन और सहयोग विलेज संस्था, खूंटी से संपर्क किया ताे उनके बच्चों का पता चला. राेबी तिर्की से घटना की जानकारी लेने के बाद बच्चाें से बात की गई. 4 बच्चाें काे बहुत कुछ याद नहीं था, लेकिन बड़ी बेटी ने जाे बताया वह राेबी की बाताें से मिलता था. इसके बाद हमलाेगाें ने बच्चाें काे उनके पिता के हवाले करने का निर्णय लिया. पांचाें बच्चाें काे खूंटी से गुमला सोमवार को लाया गया है. मंगलवार को वे परिजनों को सुपुर्द कर दिए जाएंगे.
राेबी तिर्की ने कहा- 2015 में बच्चाें के गम में पत्नी ने दम ताेड़ दिया, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारा. मैं असम के रूट पर हर स्टेशन और ट्रेन में तलाश करता रहा. लाेग जहां जाने कहते, वहां पहुंच जाता. आखिरकार मेरा प्यार जीत गया. अब बच्चाें से मिलने में कुछ घंटाें की दूरी ही रह गई है. यही अफसोस है कि मेरी पत्नी आज जिंदा होती तो बच्चों से मिलकर फूली न समाती.