प्रयागराज: संगम नगरी प्रयागराज में हॉकी का एक राष्ट्रीय खिलाड़ी गरीबी व बेबसी के चलते परिवार संग फुटपाथ पर जिंदगी बिताने को मजबूर है. किश्त जमा नहीं होने पर विकास प्राधिकरण ने सामान बाहर निकालकर उसके मकान को सील कर दिया है. सिर पर छत ना होने के कारण ये खिलाड़ी परिवार संग फुटपाथ पर बैठकर अपनी मुफलिसी पर आंसू बहा रहा है. इस होनहार खिलाड़ी ने मदद के लिए पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है.
हॉकी के राष्ट्रीय खिलाड़ी मोहम्मद तालिब गले में मेडल लटकाए और हाथ में सर्टिफिकेट लिए विकास प्राधिकरण के चक्कर काट रहे हैं. पिछले सात सालों से हॉकी के दर्जनों नेशनल टूर्नामेंट में शिरकत कर चुके तालिब शहर के तुलसीपुर इलाके में प्रयागराज विकास प्राधिकरण की कार्पोरेशन कॉलोनी के छोटे से फ्लैट में रहा करते थे, लेकिन अब वह बेघर हो चुके हैं. बेघर होने के बाद उन्होंने अपना सारा सामान फुटपाथ पर ही रखा हुआ है.
तालिब ने जो मेडल, सर्टिफिकेट और ट्रॉफी जीती हैं, वह भी सड़क किनारे धूल फांक रहे हैं. मजबूरन तालिब ने अब पीएम मोदी और सीएम योगी से मदद की गुहार लगाई है. तालिब का कहना है कि खेलो इंडिया का नारा और गरीबों को मकान देने वाले पीएम मोदी गुहार सुनकर उनके परिवार के साथ इंसाफ जरूर करेंगे तालिब मात्र 12 साल की उम्र से हॉकी खेल रहे हैं. वह 2014 से अब तक यूपी, पंजाब और मध्य प्रदेश के साथ ही कई दूसरी टीमों से राष्ट्रीय स्तर के और सब जूनियर, जूनियर और सीनियर टूर्नामेंट खेल चुके हैं. इन दिनों वह कोलकाता में चल रही बंगाल लीग में कस्टम की टीम से खेल रहा थे, लेकिन परिवार के बेघर होने की जानकारी मिलने पर वो टूर्नामेंट छोड़कर प्रयागराज वापस आ गए.
तालिब के परिवार का कहना है कि देश में हॉकी का नाम रोशन करने वाले इस होनहार खिलाड़ी को बेघर करने से पहले सरकारी नुमाइंदों को थोड़ी रियायत जरूर बरतनी चाहिए थी. उनका आरोप है कि रिश्वत के पैसे न देने की वजह से उनके साथ नाइंसाफी की गई है. तालिब के कोच अरशद अल्वी ने भी कहा है कि बेघर होकर फुटपाथ पर आने से उसका करियर प्रभावित हो सकता है.
दरअसल, विकास प्राधिकरण ने साल 2000 में तालिब के पिता शाह आलम से 25 हजार रुपये लेकर उन्हें तुलसीपुर इलाके की कार्पोरेशन कालोनी में ईडब्लूएस कैटेगरी का फ्लैट आवंटित किया था. कई बार किश्त जमा नहीं कर पाने पर साल 2009 में बकाया बढ़कर डेढ़ लाख रूपये से ज्यादा हो गया. इस बीच आई ओटीएस यानी वन टाइम सेटलमेंट स्कीम के जरिये तालिब के पिता को दो किश्त में पूरे बकाये का भुगतान करने को कहा गया. पहली किश्त उन्होंने जमा कर दी. दूसरी में करीब दो हफ्ते की देरी हो गई तो प्राधिकरण के बाबुओं ने पैसा जमा करने से मना कर दिया. तालिब का परिवार लगातार गुहार लगाता रहा, लेकिन प्राधिकरण से लेकर कोर्ट तक उन्हें कहीं राहत नहीं मिली. प्राधिकरण ने साल 2014 में फ्लैट का आवंटन निरस्त कर दिया. पांच दिन पहले 18 मार्च को सरकारी अमले ने पुलिस की मौजूदगी सारा सामान बाहर निकालकर फ्लैट को सील कर दिया. तालिब का परिवार बकाया सारी किश्त देने को तैयार है, लेकिन अफसरों का दावा है कि इस फ्लैट को दोबारा लेने के लिए उन्हें अब आज की कीमत से तकरीबन साढ़े 21 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. इसके बाद उन्हें नये सिरे से एलाटमेंट किया जाएगा.