रांचीः रांची के बड़ा तालाब सहित अन्य जलस्रोतों को संरक्षित करने और अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर दाखिल याचिका पर गुरुवार को झारखंड हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. यह मामला चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध था. अदालत ने कहा कि रांची के उपायुक्त और नगर आयुक्त यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी हाल में अब से जलस्रोत के आसपास अवैध निर्माण और अतिक्रमण ना हो.
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि राज्य सरकार के शपथ पत्र से ही स्पष्ट हो रहा है कि आने वाले दिनों में रांची में पानी की कमी होने वाली है. ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि पानी की कमी की समस्या से निपटने के लिए काम करें, नहीं तो आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी. चीफ जस्टिस डॉ. रवि रंजन ने कहा कि आने वाले दिनों में वे स्वयं रांची व उसके आसपास के जलस्रोतों का निरीक्षण करेंगे ताकि वर्तमान स्थिति का पता चल सके. अदालत ने इस मामले में सरकार की ओर से दाखिल जवाब को आदेश के तहत नहीं मानते हुए फिर से बिंदुवार जवाब देने का निर्देश दिया है.
पिछली सुनवाई को अदालत ने राज्य सरकार और नगर निगम से पूछा था कि 30 साल पहले रांची में कितने जलस्रोत से थे. वर्तमान में उनकी स्थिति क्या है और कितने क्षेत्र में हरियाली थी. हालांकि राज्य सरकार की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया है कि रांची के जलस्रोतों का सर्वे करने के लिए 8 सदस्य तकनीकी कमेटी का गठन किया गया है जो वर्ष 1929 के दौरान रांची में जलाशयों की स्थिति पर सर्वे करेगी.
उक्त कमेटी रांची नगर निगम के उप नगर आयुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई है जो जल स्रोतों के संरक्षण को लेकर हाई कोर्ट की ओर से पारित आदेशों के अनुपालन कराना भी सुनिश्चित करेगी. बता दें कि इस संबंध में अधिवक्ता खुशबू कटारुका ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि रांची बड़ा तालाब के आसपास अतिक्रमण किया गया है और आसपास की सारी गंदगी उसमें फेंकी जा रही है. इससे तालाब का पानी खराब हो रहा है.