उज्जैन. दुनिया भर में मनाए जाने वाले होली के त्यौहार की शुरुआत धार्मिक नगरी उज्जैन से हो गई है. यहाँ सबसे पहले होली के त्यौहार की शुरुआत विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर (world famous mahakaleshwar temple) से हुई. बाबा महाकाल के दरबार में होली का उत्सव मनाया गया. यहाँ सुबह चार बजे भस्मारती में पण्डे पुजारियों ने महाकाल के साथ होली खेली. यहां सभी ने बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर, गुलाल और फूलों के साथ होली मनाई. बाबा का दरबार रंगों से सराबोर नजर आया. कोरोना (corona) काल के कारण बाबा महाकाल की भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध है, यही वजह है कि यहां होली के इस पर्व पर श्रद्धालु नजर नही आए.रंगो के त्यौहार होली (festival of colors holi) की शुरुआत सबसे पहले बाबा महाकाल के दरबार से हो गई है. यहाँ परंपरा अनुसार भस्मारती में बाबा महाकाल को रंग लगाया गया. पण्डे पुजारियों ने आरती के दौरान बाबा की भक्ति में लीन होकर अबीर गुलाल और फूलों के साथ होली खेली. यूं तो देश के कोने-कोने से कई भक्त उज्जैन में मनाई जाने वाली इस होली को देखने के लिए आते हैं, परंतु कोरोना संक्रमण (corona infection) के कारण भस्म आरती में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध होने के कारण इस वर्ष होली की भस्म आरती बगैर श्रद्धालु के ही संपन्न हुई. महाकाल मंदिर में भस्मारती में होली का पर्व मानाने की परंपरा सनातन काल से चली आ रही. यहाँ सबसे पहले बाबा महाकाल के आँगन में होली उत्सव की शुरुआत होती है और उसके बाद देश भर में होली मनाई जाती है.