उत्तराखंड : आस्था का मेला कुंभ इस बार उत्तराखंड की देव नगर हरिद्वार में आज से आयोजित होने जा रहा है. आपको बता दें कि कुंभ का शाब्दिक अर्थ है कलश जिसे समुद्र मंथन के दौरान निकले अमृत कलश के तौर देखा जाता है. कुंभ मेले का आयोजन 12 साल में हर 3 साल के अंतराल पर प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है. हरिद्वार में कुंभ गंगा के तट पर, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, नासिक में गोदावरी नदी के तट पर और प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर इसका आयोजन होता है
महाकुंभ में गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं को कोरोना की 72 घंटे पहले तक की RTPCR निगेटिव रिपोर्ट लानी होगी. कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं पर विशेष नजर रहेगी. जिले के सभी बॉर्डर और मेला क्षेत्र में स्वास्थ्य विभाग श्रद्धालुओं की रैंडम सैंपलिंग करेगा. धर्मशालाओं और होटलों में बिना कोरोना निगेटिव रिपोर्ट के श्रद्धालु नहीं ठहर पाएंगे. श्रद्धालुओं को www.haridwarkkumbhmela2021.com www.haridwarkumbhpolice2021.com पर पंजीकरण कराना होगा. इसके लिए अपनी पूरी जानकारी के साथ 72 घंटे पहले तक की कोरोना की आरटीपीसीआर निगेटिव रिपोर्ट और फिटनेस प्रमाणपत्र अपलोड करना होगा. पंजीकरण की रिसीप्ट मोबाइल में या इसका प्रिंट दिखाने के बाद ही श्रद्धालुओं को मेला क्षेत्र में प्रवेश दिया जाएगा.
वैसे तो हर बार कुंभ मेला 4 महीने का होता था लेकिन इस बार कोरोना महामारी के मद्देनजर हरिद्वार में आयोजित होने वाला कुंभ मेला केवल 28 दिन का होगा. कुंभ मेले का आयोजन 1 से 28 अप्रैल के बीच होगा और इस दौरान राज्य सरकार के साथ ही केंद्र सरकार ने भी कई जरूरी गाइडलाइन्स जारी की हैं जिनका पालन सभी श्रद्धालुओं को करना होगा. हरिद्वार कुंभ मेले में इस बार 4 शाही स्नान होंगे. देशभर से श्रद्धालुओं और अखाड़ों का हरिद्वार पहुंचना शुरू हो गया है. कुंभ के दौरान होने वाले शाही स्नान आकर्षण का केंद्र होते हैं.
वैसे तो हरिद्वार कुंभ मेले की औपचारिक शुरुआत आज से होगी लेकिन पहला शाही स्नान 11 मार्च 2021 गुरुवार को महाशिवरात्रि के मौके पर हुआ. धरती पर गंगा का अवतरण भगवान शिव की वजह से ही हुआ था और गंगा, शिव की जटाओं में समाहित हैं. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन पवित्र गंगा में स्नान करने का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व काफी अधिक है. हरिद्वार कुंभ का दूसरा शाही स्नान पहले स्नान के 1 महीने बाद 12 अप्रैल सोमवार को सोमवती अमावस्या के दिन होगा. अमावस्या के दिन वैसे भी पवित्र नदियों में स्नान और फिर दान का विशेष महत्व माना जाता है और सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है.
हरिद्वार कुंभ का तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल बुधवार को मेष संक्रांति के मौक पर होगा. इस दिन बैसाखी भी है. ऐसी मान्यता है कि मेष संक्रांति के दिन गंगा का जल अमृत बन जाता है और ज्योतिषीय मान्यताओं के मुताबिक इस दिन गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के जीवन के सारे पाप धुल जाते हैं. हरिद्वार कुंभ का चौथा और आखिरी शाही स्नान चैत्र के महीने में पूर्णिमा के दिन होगा. इसे शाही स्नान के सबसे अहम दिनों में से एक माना जाता है और इसलिए इस दिन को अमृत योग के नाम से भी जाना जाता है.