बीएनएन डेस्क : जो हम साइंस फिक्शन में पढ़ते हैं या इससे जुड़ी फिल्मों में देखते हैं, उसे वैज्ञानिकों ने सच साबित कर दिया है. इतिहास में पहली बार वैज्ञानिकों को किसी इंसान के दिमाग को बिना किसी वायर के कम्प्यूटर से जोड़ने में सफलता मिली है. इससे संबंधित स्टडी इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स के बायोमेडिकल इंजीनियरिंग जर्नल पब्लिश हुई है. इसमें कहा गया है कि यह काम कम्प्यूटर से ह्यूमन ब्रेन को कनेक्ट करने का काम छोटे ट्रांसमिटर के जरिए किया गया. इसमें किसी तरह के वायर का इस्तेमाल नहीं किया गया. कम्प्यूटर के जरिए कॉम्पिलिकेटेड कैलकुलेशन को कुछ सेकंड में किया जा सकता है, वहीं सुपरकम्प्यूटर का पूरा सिस्टम चलाने के लिए एक छोटे कमरे की जरूरत होती है. कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी अब इतनी आगे बढ़ चुकी है, जो किसी को भी हैरत में डाल देती है. बहरहाल, वैज्ञानिकों ने आज तक के इतिहास में ह्यूमन ब्रेन को कम्प्यूटर से जोड़कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है.
कैसे जोड़ा ब्रेन को कम्प्यूटर से
बता दें कि नवंबर, 2020 में ही वैज्ञानिकों की एक टीम ने ह्यूमन ब्रेन को ब्लड वेसल्स में थ्रेड डाल कर उसके जरिए 10 कम्प्यूटर से जोड़ा था. इसके बाद इलेक्ट्रॉड्स को गले की वेन्स के जरिए ब्रेन के प्राइमरी मोटर कॉर्टेक्स (Primary Motor Cortex) में इन्सर्ट करने में सफलता पाई थी. इसके बाद ब्रेन के सिग्नल्स को डिटेक्ट किया गया था. रिपोर्ट में बताया गया कि यह प्रक्रिया 2 लोगों पर अपनाई गई, जो डिजनेरेटिव डिजीज एम्योट्रॉफिक लेटरल एस्कलेरॉसिस (ALS) से पीड़ित थे. यह एक्सपेरिमेंट ऑस्ट्रेलिया के मेलबॉर्न यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने किया.
पहली बार मिली यह उपलब्धि
अब वैज्ञानिकों ने ह्यूमन ब्रेन को बिना किसी वायर के कम्प्यूटर से जोड़ कर इस दिशा में एक कदम और बढ़ा दिया है. बता दें कि आज तक के वैज्ञानिक इतिहास में यह पहली उपलब्धि है. अमेरिका के रोड आइलैंड (Rhode Island) के ब्राउन यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने ह्यूमन ब्रेन और कम्प्यूटर को जोड़ा और सिग्नल्स के ट्रांसमिशन को पकड़ पाने में सफल हुए. यह सिंगल न्यूरॉन रेजोल्यूशन और और पूरे ब्रॉडबैंड सिस्टम के साथ हुआ.
क्या हुआ इस नई स्टडी में
इस नई स्टडी में 2 लकवाग्रस्त लोगों को जिनकी उम्र 35 और 63 साल थी, ब्रेनगेट सिस्टम का इस्तेमाल करके वायरलेस ट्रांसमिटर के जरिए टैबलेट कम्प्यूटर से जोड़ा गया. इसमें किसी तरह के केबल का इस्तेमाल नहीं किया गया. इस दौरान सिग्नल्स को रिकॉर्ड किया गया, जिसका इस्तेमाल बाद में डिकोडिंग करके किया जा सकता है. जॉन सिमेरल इस स्टडी के प्रमुख लेखक हैं, जिन्होंने इसके बारे में जानकारी दी. बता दें कि कुछ ही समय पहले टेस्ला और स्पेसेक्स के सीईओ एलन मस्क ने कहा था कि उन्होंने एक बंदर के ब्रेन में वायर के जरिए चिप लगाया था.