देहरादून. सीबीआई विशेष जज सुजाता सिंह की कोर्ट ने 10 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए लेफ्टिनेंट कर्नल भरत जोशी को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने जोशी पर 55 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जोशी वर्ष 2016 में एमईएस (मिलिट्री इंजीरियरिंग सर्विसेज) में गैरीसन इंजीनियर के पद पर तैनात थे और ठेकेदार का बिल पास कराने के लिए रिश्वत मांगी थी. इस मामले में जोशी के सहयोगी इंजीनियर को भी पांच साल की सजा हुई है. भरत जोशी वर्तमान में वर्तमान में हैदराबाद में तैनात है.
सीबीआई के अधिवक्ता सतीश गर्ग ने बताया कि आईआरडीई (इंस्ट्रयूमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट) में निर्माण कार्य करने वाले ठेकेदार हरेंद्र का करीब 16 लाख रुपये का भुगतान बकाया था.काफी प्रयासों के बाद भी भुगतान नहीं हो पा रहा था. इसके लिए उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल भरत जोशी (निवासी पोखरा, जिला पौड़ी गढ़वाल) से संपर्क किया. लेकिन, इस बिल का भुगतान करने के लिए जोशी ने हरेंद्र से रिश्वत की मांग की. पूरी बात 38 हजार रुपये में तय हुई.
ठेकेदार ने 10 हजार रुपये पहले और बाकी पांच दिन बाद देने को कहा. इसी बीच ठेकेदार इस मामले की सीबीआई से शिकायत कर चुका था. इसके बाद चार जुलाई 2016 को सीबीआई की टीम ने विज्ञान विहार रायपुर स्थित भरत जोशी के आवास से उन्हें रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई की जांच में सामने आया कि इस पूरे प्रकरण में असिस्टेंट गैरीसन इंजीनियर मनीष कुमार का भी हाथ है. ठेकेदार से हुई बातचीत की रिकार्डिंग में मनीष कुमार की भी आवाज थी.
कुछ दिन बाद सीबीआई ने मनीष कुमार (निवासी सेक्टर 22, द्वारका, नई दिल्ली) को भी गिरफ्तार कर लिया. सीबीआई ने 29 सितंबर 2017 को चार्जशीट दाखिल की. ट्रायल के दौरान सीबीआई ने 14 गवाह पेश किए. इसके साथ ही दर्जनों दस्तावेजी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों को भी अदालत में प्रस्तुत किया गया. सभी पहलुओं को सुनने के बाद सोमवार को अदालत ने भरत जोशी को 10 साल और मनीष कुमार को पांच साल कठोर कारावास की सजा सुनाई. भरत पर अलग-अलग धाराओं में 55 हजार और मनीष कुमार पर 15 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया.