दिल्ली: कोविड-19 (Covid-19) जब से आया है तब से दुनिया में कई तरह के बदलाव आए हैं. खेल भी इससे अछूते नहीं रहे. हर खेल में बदलाव आए और सबसे बड़ा बदलाव बायो बबल को लेकर आया.
किसी भी टूर्नामेंट में खेलने से पहले खिलाड़ियों को अब बायो बबल से गुजरना पड़ता है. दुनिया भर के कई खिलाड़ी इसे लेकर अपनी परेशानियां बता चुके हैं. कई खिलाड़ियों ने इसे मानसिक तौर पर काफी थकान वाला बताया है.
भारत के पूर्व कप्तान और बीसीसीआई (BCCI) के मौजूदा अध्यक्ष सौरव गांगुली को हालांकि लगता है कि भारतीय खिलाड़ी बायो बबल से उत्पन्न होने वाली परेशानियों से लड़ने में बाकी देश के खिलाड़ियों से ज्यादा काबिल हैं.
जब से इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत हुई है तब से खिलाड़ी बायो बबल में ही रहते हैं. बायो बबल में खिलाड़ी अपने होटल में ही रहते हैं. ज्यादा से ज्यादा उन्हें अभ्यास के लिए स्टेडियम जाने की इजाजत रहती है. इसके अलावा वह कहीं और नहीं जा सकते न किसी से मिल सकते. इससे खिलाड़ियों को तरोताजा रहने और मोटिवेटेड रहने में परेशानी होती है.
गांगुली का मानना है कि भारतीय खिलाड़ी विदेशी खिलाड़ियों की तलुना में मानसिक तौर पर ज्यादा मजबूत और ज्यादा सहनशील हैं. टीम के पूर्व कप्तान ने एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा, “मुझे लगता है कि विदेशी क्रिकेटरों की तुलना में हम भारतीय थोड़े अधिक सहनशील हैं.
मैंने इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलियाई और वेस्टइंडीज के बहुत सारे क्रिकेटरों के साथ खेला है. वे मानसिक स्वास्थ्य पर जल्दी हार मान जाते है. पिछले छह-सात महीने से बायो-बबल में क्रिकेट हो रहा है और यह काफी मुश्किल है. होटल के कमरे से मैदान पर जाना, खेल के दबाव को संभालना और वापस कमरे में आ जाना और फिर से मैदान पर जाना , यह बिलकुल अलग तरह की जिंदगी है.”