रांची:- बिरसा कृषि विश्वविद्यालय ने शानदार उपलब्धि हासिल करते हुए बीएयू बिरसिन का पेटेंट हासिल कर लिया है. बीएयू द्वारा विकसित इस हर्बल फामूर्लेशन को भारतीय बौद्धिक सम्पदा कार्यालय, कोलकाता ने स्वीकृति दे दी है. पिछले दस वर्षों से इस उत्पाद के पेटेंट को लेकर बीएयू प्रयासरत था. इस हर्बल उत्पाद को विवि के वानिकी संकाय के वनोत्पाद उपयोगिता विभाग के वैज्ञानिक डॉ कौशल कुमार ने तैयार किया है. इस फार्मूलेशन को दो वर्षों तक संरक्षित रखकर उपयोग में लाया जा सकता है. बीएयू बिरसिन नाम से इस उत्पाद को बाजार में उपलब्ध कराया जायेगा. यह टेबलेट, कैप्सूल, सिरप या हर्बल टी के रूप में बाजार में उपलब्ध होगा. डॉ कौशल कुमार ने बताया कि झारखंड में बहुतायत में मिलने वाले चराई गोड़वा नामक वृक्ष की पत्तियों और जड़ के छालों में कई अवयवों को मिलाकर इसे तैयार किया गया है. इस वृक्ष का वैज्ञानिक नाम वाईटेक्स पेडन्कुलेरिस है. उन्होंने बताया कि वर्ष 1921 में रांची के तत्कालीन सिविल सर्जन लेफ्टिनेंट कर्नल जेसीएस बागौन ने द ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में इसपर आर्टिकिल प्रकाशित की थी. डॉ कौशल ने कहा कि एंटीपायरेटिक व एनाल्जेसिक के रूप में यह उत्पाद काफी उपयोगी हैं. यह ज्वर नाशक, कफ नाशक व दर्द निवारण में अत्यंत कारगर है. कुलपति डॉ ओंकार नाथ सिंह ने इसे विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक क्षण एवं बड़ी सफलता बताते हुए युवा वानिकी वैज्ञानिक डॉ कौशल को बधाई दी.