नई दिल्ली : मंगलवार 13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रों (Navratra) की शुरुआत हो गई है. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए झंडेवालान, छतरपुर और कालकाजी जैसे शीर्ष मंदिरों ने अपने यहां भक्तों के प्रवेश पर पूरी तरह पाबंदी लगा दी है. इससे मंदिरों, पुजारियों और भक्तों में काफी निराशा का माहौल है. लोग अपने घरों पर ही मां दुर्गा की पूजा-अर्चना कर रहे हैं. मंदिरों के बंद होने की जानकारी सामने आते ही फूल बाजार में भारी गिरावट आ गई है. गेंदा, गुलाब, सजावटी फूलों के साथ-साथ कलकत्ता वाली सजावटी मालाओं की कीमतों में 50 से 80 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई.
झंडेवालान मंदिर के मुख्य प्रशासक नंदकुमार सेठी ने बताया है कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकार के दिशा-निर्देश के अनुसार मंगलवार से मंदिर में भक्तों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहेगा. नवरात्रों के दौरान केवल मंदिर के पुजारियों के द्वारा माता झंडेवालान देवी की पूजा-अर्चना होती रहेगी. भक्त इसका लाइव प्रसारण मंदिर के यू-ट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर देख सकेंगे. मंदिर कब खोला जाएगा, इस पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
झंडेवालान की तरह राजधानी दिल्ली के बहुत प्रसिद्ध कालकाजी मंदिर, छतरपुर मंदिर और पूर्वी दिल्ली के गुफावाली माता के मंदिर को भी बंद करने का निर्णय लिया गया है. राजधानी के बहुत छोटे-छोटे मंदिर ही कुछ जगहों पर खुले हुए हैं, लेकिन यहां भी पूरी तरह सन्नाटा पसरा है.
फूल बाजार में हाहाकार
संतोष फ्लोरिस्ट के चेयरमैन संतोष पाण्डेय ने अमर उजाला को बताया कि मंदिरों को बंद करने की जानकारी सामने आते ही राजधानी के फूल बाज़ार में भारी गिरावट दर्ज की गई. गेंदे के फूल सोमवार को 120 रुपये किलो बिक रहे थे, वे मंदिरों के बंद होने के फैसले के बाद 80 से 90 रुपये तक गिर गये. कोलकाता से आने वाली 20 मालाओं के एक गुच्छे की कीमत 500 रुपये प्रति गुच्छे से गिरकर 300 रुपये प्रति गुच्छे तक आ गई है. इससे व्यापारियों को भारी नुकसान हो रहा है.
गाजीपुर फूल मंडी के प्रधान तेग सिंह चौधरी ने बताया कि मंदिरों के बंद करने के निर्णय से फूल व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है. गाजीपुर फूल मंडी में 412 फूल की बड़ी दुकानें हैं. हर एक दुकान पर चार से पांच कर्मचारी काम करते हैं. इसके आलावा खरीदारों के कारण प्रत्येक दुकान पर दस से बीस बड़े व्यापारियों से लेनदेन होता था, लेकिन अब वह पूरी तरह बंद हो गया है.
नाइट कर्फ्यू लगने के कारण पहले ही बाहर के फूल और फूल व्यापारी मंडी तक नहीं आ रहे हैं. शादियों में भी केवल 50 लोगों की संख्या सीमित कर दी गई है और शादियों का भी देर रात तक आयोजन नहीं किया जा सकता. इससे दिन में ही शादियां निपटाई जा रही हैं. जिसका फूल बाज़ार पर बहुत ज्यादा असर पड़ा है और एक-एक व्यापारी को लाखों रुपये का नुकसान हुआ है.
मंडी में फूल-माला बनाने वाले लोगों की दिहाड़ी पर भी संकट पैदा हो गया है. माला बनाने वालों में सबसे ज्यादा आसपास की महिलाएं होती हैं, जो एक-एक माला गुथने के एक-दो रुपये लेती हैं. गाजीपुर फूल मंडी में प्रत्येक कामगार महिला एक दिन में 500 रुपये से 700-800 रुपये तक कमा लेती थी. लेकिन फूल मंडी की मंदी ने उसकी रोजी-रोटी पर संकट पैदा कर दिया है.