नई दिल्ली:- चारा घोटाले के चार मामलों में जेल की सजा काट रहे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव एक बार फिर से जमानत की आस में झारखंड हाई कोर्ट की दहलीज पर खड़े हैं. लेकिन केंद्रीय जांच एजेंसी, सीबीआइ यहां फौलाद की तरह उनका रास्ता राेकने को तैयार है. एजेंसी ने अबकी बार राजद अध्यक्ष लालू यादव की जमानत याचिका के औचित्य पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. सीधे-सीधे लालू की 14 साल की सजा के मामले को आगे करते हुए सीबीआइ ने पूरी सफाई से उनकी जमानत याचिका का पुरजोर विरोध करने की मंशा प्रदर्शित कर दी है.
जमानत याचिका पर सवाल
याचिका पर सवाल खड़े करते हुए ब्यूरो ने कहा कि चारा घोटाले के दुमका कोषागार मामले में आखिर किस बिना पर लालू प्रसाद जमानत मांग रहे हैं.
उच्च न्यायालय में दाखिल की गई उनकी इस याचिका का कोई औचित्य ही नहीं है? इस मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत ने कुल 14 साल जेल की सजा, दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल कारावास की दी है. अदालत ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि सात-सात साल की दोनाें सजाएं अलग-अलग चलेंगी. पहली सजा पूरी हो जाने के बाद दूसरी सजा चलेगी.
एक बार रद हो चुकी है लालू की जमानत याचिका
इससे पहले लालू की जमानत याचिका झारखंड हाई कोर्ट में एक बार रद की जा चुकी है. तब लालू की ओर से दावा किया गया था कि उन्होंने दुमका मामले में आधी सजा काट ली है. तब सीबीआइ ने उनकी कस्टडी की तारीख के दस्तावेज दिखाते हुए उनके वकील कपिल सिब्बल के दावे को झूठा करार दिया था. इसके बाद सिब्बल की ओर से कोर्ट में 2 माह बाद की तारीख मांगी गई. लेकिन सीबीआइ के कड़े विरोध के बाद अदालत ने लालू प्रसाद की जमानत याचिका रद कर दी.
फिर से हाई कोर्ट की शरण में लालू यादव
बहरहाल लालू एक बार फिर से अपनी जमानत के लिए झारखंड हाई कोर्ट की शरण में पहुंचे हैं. उनका दावा है कि चारा घोटाला के दुमका कोषागार मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत से मिली सात साल की सजा की आधी अवधि, जिसमें पहले 2 महीने का समय कम पड़ रहा था, वह उन्होंने जेल में बिता ली है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट के नियमों के मुताबिक उन्हें इस मामले में जमानत दी जानी चाहिए. इधर निचली अदालत के आदेश के हवाले से सीबीआइ ने हाई कोर्ट में दाखिल किए गए जवाब में कहा है कि लालू यादव को एक ही केस में दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल यानी कुल 14 साल की सजा सुनाई गई है.
कपिल सिब्बल ने लगाए संगीन आरोप
कोर्ट ने इसे अपने आदेश में स्पष्ट भी किया है. बावजूद लालू अपनी सजा को सात साल की ही बता रहे हैं. सीबीआइ ने स्पेशल सीबीआइ कोर्ट के इस आदेश को अपना ब्रह्मास्त्र बना लिया है. इससे पहले लालू के वकील कपिल सिब्बल लालू को जेल से बाहर नहीं निकलने देने का संगीन आरोप सीबीआइ पर लगा चुके हैं. उनका कहना है कि सीबीआइ सुप्रीम कोर्ट से इस मामले में स्टे लाकर लालू प्रसाद यादव की जमानत के पूरे मामले को तीन-चार साल तक लटका सकती है.