रांची: झारखण्ड में कोविड मरीजों के उपचार हेतु राज्य के निजी व सरकारी अस्पतालों में रेमडेसिविर की कमी के कारण मरीजों को समय पर इंजेक्शन के नहीं मिलने पर चिंता व्यक्त करते हुए झारखण्ड चैंबर ऑफ कॉमर्स ने मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री एवं स्वास्थ्य सचिव को पत्राचार किया. चैंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबडा ने कहा कि इंजेक्शन के स्टॉक की कमी के कारण विभिन्न अस्पतालों में भर्ती संक्रमितों के परिजनों को अपने स्तर से इंजेक्शन की व्यवस्था करने को कहा जा रहा है, किंतु स्मरणीय है कि बाजार में यह इंजेक्शन बिक्री हेतु प्रतिबंधित है. प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखण्ड में रेमडेसिविर की खपत के अनुरूप आपूर्ति नहीं होने के कारण यह समस्या बनी हुई है अथवा यदि आपूर्ति हो भी रही है तो यह अस्पताल में भर्ती सभी मरीजों को नहीं मिल पा रही है. ऐसे में मरीजों को इंजेक्शन का एक डोज पडने के उपरांत उन्हें दूसरे डोज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. यह आग्रह किया गया कि वर्तमान में लोगों के समक्ष जारी इस स्वास्थ्य संकट के शीघ्र समाधान हेतु जीवनरक्षक दवाईयां तथा ऑक्सीजन सिलेंडर की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराने की पहल की जाय.
महासचिव राहुल मारू ने कहा कि वर्तमान समय में बाजार में नियमित रूप से ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति बनाये रखना अतिआवश्यक है. जीवनरक्षक इंजेक्शन की कमी को लेकर स्थिति अनियंत्रित हो रही है, जिसपर सरकार को चिंतन करने की आवश्यकता है.
चैंबर के हेल्थ उप समिति के चेयरमेन डॉ अभिषेक रामधीन ने कहा कि पिछले वर्ष महामारी का इतना अधिक प्रसार नहीं हुआ था, किंतु सरकारी स्तर पर अधिकाधिक संख्या में क्वारंटाइन व आईसोलेशन सेंटर्स की व्यवस्था की गई थी. इसके साकारात्मक परिणाम आये थे. अतः सरकार को इस दिशा में भी विचार करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार ने राज्य के सभी निजी अस्पतालों को 50 फीसदी बेड कोविड मरीजों के लिए आरक्षित रखने का निर्देश दिया है, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह उचित भी है किंतु यह विचारणीय है कि किसी स्पेशलिटी अस्पतालों में जहां केवल आंख या कान का ईलाज होता है, वहां कोविड मरीजों के ईलाज के लिए जरूरी अन्य संसाधनों यथा- दवा, इंजेक्शन, वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर नहीं हैं. ऐसे में इन अस्पतालों में किस प्रकार कोविड मरीजों का सुगमतापूर्वक उपचार संभव है? यदि निजी अस्पताल संचालक ऑक्सीजन सिलेंडर की व्यवस्था करना भी चाहें, तो वर्तमान समय में यह बाजार में उपलब्ध ही नहीं है. ऐसे नर्सिंग होम में मरीजों के उपचार हेतु पर्याप्त संख्या में डॉक्टर व नर्स की भी अनुपलब्धता है.