नवरात्रि में दुर्गाजीकी उपासना के चौथे दिन की पूजा का अत्याधिक महत्त्व है. माँ दुर्गा जी के चौथे स्वरुप का नाम कूष्माण्डा है. नवरात्री उपासना में चौथे दिन इन्ही के विग्रह का पूजन-आराधना किया जाता है. इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में स्थित होता है. अतः इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और निश्छल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरुप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लग्न रहना चाहिए.
ऐसे करें पूजा
नवरात्र में चौथे दिन कलश की पूजा कर माता कूष्मांडा को प्रणाम करें. देवी को पूरी श्रद्धा से फल,फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं. पूजन के पश्चात् मां कुष्मांडा के दिव्य रूप को मालपुए का भोग लगाकर किसी भी दुर्गा मंदिर में ब्राह्मणों को इसका प्रसाद देना चाहिए. पूजा के बाद अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें. इससे माता की कृपा स्वरूप उनके भक्तों को ज्ञान की प्राप्ति होती है, बुद्धि और कौशल का विकास होता है.
आराधना मंत्र-
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥