हरिद्वार : कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार देश में फैलता जा रहा है. देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 2,17,353 नए मामले आने के बाद कुल पॉजिटिव मामलों की संख्या 1,42,91,917 हो चुकी है जबकि 1,185 नई मौतों के बाद कुल मौतों की संख्या 1,74,308 हो गई है.
इसी बीच एक बड़ी खबर हरिद्वार से आ रही है जहां कोरोना के साए में महाकुंभ स्नान से महामारी का खतरा बढ़ चुका है. जानकारी के अनुसार 12 से 14 अप्रैल तक तीन स्नान पर गंगा में 49 लाख 31343 संतों और श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाने का काम किया. कई संत और श्रद्धालु बीमार हैं. अमर उजाला वेबसाइट में छपी खबर की मानें तो रुड़की यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को संक्रमण और भी तेजी से साथ फैलने की चिंता सताने लगी है.
वैज्ञानिकों की ओर से ऐसा दावा किया गया है कि कोरोना का वायरस ड्राई सरफेस की तुलना में गंगा के पानी में अधिक समय तक एक्टिव रहने की क्षमता होती है. गंगा का पानी बहाव के साथ वायरस का प्रसार कर सकता है. यही नहीं संक्रमित व्यक्तियों के गंगा स्नान और लाखों की भीड़ जुटने का असर आगामी दिनों में महामारी के रूप में सामने नजर आ सकता है.
वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार अखाड़ों से जुड़े करीब 40 संत कोरोना संक्रमित पाये गये हैं. अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि अस्पताल में भर्ती हैं जबकि महामंडलेश्वर कपिल देव दास की मौत हो गई है. कोरोना संक्रमण के फैलाव से रुड़की विश्वविद्यालय के वाटर रिसोर्स डिपार्टमेंट के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. संदीप शुक्ला की चिंता बढा दी है.
12 रिसर्चर्स की टीम बहते हुए पानी में कोरोना वायरस के एक्टिव रहने के समय पर रिसर्च में जुटी हुई है. इस टीम में डॉ संदीप शुक्ला भी हैं जिनका कहना है कि ड्राइ सरफेस की तुलना में वायरस पानी में ज्यादा समय तक सक्रिय रह सकता है. इस बात पर रिसर्च की जा रही है कि पानी में कितने समय तक वायरस एक्टिव रहने की क्षमता रखता है. रिसर्च पूरी होने के बाद ही सारी बातें सामने आ सकेंगी.