नई दिल्ली:-इस बार चैती छठ 16-19 अप्रैल मनाया जा रहा है. छठ पूजा का पावन पर्व पूरे चार दिनों तक मनाया जाता है. महिलाएं छठ के दौरान लगभग 36 घंटे का व्रत रखती हैं.पौराणिक मान्यता है कि छठी मैया सूर्य देव की बहन हैं. यही वजह है कि छठ में सूर्य देव की भी पूजा-अर्चना की जाती है. उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. इसके साथ ही छठ पर छठी मैया की पूजा का भी विधान है. पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मैया संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं.
चार दिनों तक महापर्व
नहाय खाय- 16 अप्रैल (आज) से चैती छठ पर्व की शुरुआत हो चुकी है. पहले दिन नहाय खाय के मौके पर पूरे घर की साफ-सफाई की जाती है. स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लिया जाता है. दिन में चने-लौकी की सब्जी, चावल, साग खाया जाता है. अगले दिन खरना से व्रत की शुरुआत होती है.
खरना- 17 अप्रैल यानी शनिवार को खरना है. इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर का प्रसाद बनाती हैं और फिर सूर्य देव की पूजा करने के बाद ये प्रसाद ग्रहण किया जाता है. इसके बाद व्रत का पारणा छठ के समापन के बाद ही किया जाता है.पहला अर्घ्य- षष्ठी तिथि पर शाम के समय महिलाएं नदी, तालाब या फिर जहां पानी का इंतजाम हो जाए, वहां खड़ी होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं. 18 अप्रैल यानी रविवार को षष्ठी तिथि पड़ रही है. शाम को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्ध्य दिया जाएगा.समापन- सप्तमी तिथि को चैती छठ का समापन हो जाएगा. 19 अप्रैल यानी सोमवार को इस महापर्व का समापन किया जाएगा. इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नदी या तालाब के पानी में उतर जाती हैं और सूर्यदेव से प्रार्थना करती हैं. इसके बाद उगते सूर्य देव को अर्घ्य देने के बाद पूजा का समापन कर व्रत का पारणा किया जाता है.