नई दिल्ली:- सरकार ने लोकसभा में बाल विवाह निषेध (संशोधन) विधेयक- 2021 की सिफारिश की है, जिसमें लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने का प्रस्ताव है. हालांकि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के अनुसार अब इस बिल को विचार-विमर्श और जांच के लिए स्थायी समिति के पास भेज दिया गया है.लोकसभा में पेश करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा था कि हमारे देश में महिलाओं की समानता को शादी की उम्र में देखा जाना चाहिए. विभिन्न धर्मों के अलग-अलग विवाह कानूनों का आह्वान करते हुए यह संशोधन विधेयक पेश किया जा रहा है. हालांकि विपक्ष ने इस विधेयक का विरोध किया है. बड़ी संख्या में बाल विवाह होने के कारण खासकर राजस्थान के संदर्भ में यह विधेयक बड़ा महत्व रखता है. राजस्थान में सामाजिक परंपरा लड़की की शादी जल्दी करने की है. देश में पहले के कानून के अनुसार अभी पुरुषों की विवाह की न्यूनतम उम्र 21 और महिलाओं की 18 साल है.
उम्र सीमा में बदलाव का फैसला जया जेटली समिति की सिफारिशों पर किया गया. समिति को देखना था शादी और मातृत्व की उम्र का मां व नवजात शिशु के स्वास्थ्य, शिशु-मातृ मत्यु दर आदि से कितना संबंध है.
तर्क ये भी
18 साल की उम्र तक कॉलेज की पढ़ाई भी पूरी नहीं होती है. ऐसे में अगर लड़कों को अपनी पढ़ाई पूरी कर खुद को अच्छी नौकरी के लिए तैयार करने का मौका मिलता है तो लड़कियों को तीन साल पहले ही शादी के झंझट में डाल देने की वकालत भला कैसे की जा सकती है.
विभिन्न धार्मिक समुदायों के पारंपरिक रिवाजों और पर्सनल लॉ के प्रचलित प्रावधानों के परस्पर विरोधी स्वरूप इस एकरूपता में आड़े आते हैं. इसलिए समझा जाता है कि इस विधेयक के साथ विभिन्न पर्सनल लॉ में संशोधन का भी प्रस्ताव लाया जाएगा.
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 के ताजा आंकड़ों की ही बात करें तो कानूनी न्यूनतम उम्र सीमा निर्धारित रहने के बावजूद 2019 से 21 के दौरान 20 से 24 साल की 23.3 फीसदी महिलाएं ऐसी रहीं जिनकी शादी 18 साल से कम उम्र में की जा चुकी थी.
राजस्थान में भयावह स्थिति
नेशनल हेल्थ सर्वे में राजस्थान की डराने वाली हकीकत भी सामने आई कि यहां पर पर बेटियों की शिक्षा एवं स्वास्थ्य के मामले में स्थिति अभी भी न केवल खराब है, बल्कि औसतन हर तीसरी बेटी 15 से 16 साल की उम्र में मां बन रही है. राज्य में 25 फीसदी लड़कियों की शादी 15 से 19 साल की आयु में ही हो जाती है. गांवों में तो 18-19 साल तक 60 प्रतिशत लड़कियों की शादी हो जाती हैं.
गांवों में 34 प्रतिशत और शहरों में 17 प्रतिशत बेटियां आज भी 15-16 साल की उम्र में ही मां बन जाती हैं. इसके खतरे भी हैं, जो शिशु और मातृ मृत्यु दर ज्यादा होने और कुपोषण के साथ खून की कमी आदि के रूप में देखे जा रहे हैं.
विपक्ष के सवाल
आयु बढ़ाने से लैंगिक समानता कैसे आएगी?
सरकार चुन सकती है, लिव इन रिलेशनशिप में रह सकती है, जीवनसाथी क्यों नहीं चुन सकती?
उम्र बढ़ाने का कानून बनाने से पिछड़े इलाकों में बाल विवाह रुकने की क्या गारंटी है?
18 साल में वयस्क कहलाएंगे, लेकिन शादी की उम्र अलग क्यों?
हड़बड़ी में बिल क्यों?